Page Loader
भाजपा में शामिल होते ही बढ़ी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुश्किलें, जमीन घोटाले की फिर होगी जांच

भाजपा में शामिल होते ही बढ़ी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुश्किलें, जमीन घोटाले की फिर होगी जांच

Mar 13, 2020
12:05 pm

क्या है खबर?

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल होकर कमलनाथ सरकार के लिए खतरा बने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। मध्य प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने गुरुवार को उनके खिलाफ जमीन घोटाले को लेकर की गई एक शिकायत के तथ्यों का फिर से सत्यापन करने का निर्णय लिया है। शिकायत में एक ही जमीन को बार-बार बेचने और सरकारी जमीन को बेचने का आरोप लगाया गया है।

आरोप

दस्तावेजों में हेरफेर कर 6,000 फीट जमीन बेचने का आरोप

EOW के एक अधिकारी ने बताया कि मामले में शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने ग्वालियर में शिकायत दी थी कि सिंधिया ने एक संपत्ति के दस्तावेज में हेरफेर कर 6,000 फुट की जमीन का हिस्सा उन्हें बेचा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सिंधिया ने जानबूझकर दस्तावेज में हेरफेर कर वह जमीन उन्हें बेची थी। ऐसे में इस मामले में निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। इस पर शाखा ने शिकायत के तथ्यों की फिर से जांच करने का निर्णय किया है।

जानकारी

साल 2018 में बंद कर दिया था मामला

आपको बता दें कि शिकायताकर्ता ने इस मामले में सबसे पहले 26 मार्च, 2014 को शिकायत कर सिंधिया के खिलाफ साल 2009 में महलगांव में जमीन बेचने का आरोप लगाया था। शिकायत की जांच के बाद मामले को 2018 में बंद कर दिया गया था।

आरोप

कांग्रेस नेता ने द्वेष के चलते कार्रवाई करने का लगाया आरोप

सिंधिया के खिलाफ बंद हो चुके मामले को फिर से खोलने को लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और सिंधिया के करीबी माने जाने वाले पंकज चतुर्वेदी ने सरकार पर राजनीतिक द्वेषता के चलते कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जांच से कुछ होने वाला नहीं है। मामला पहले ही सबूतों के अभाव में खत्म हो चुका है। उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है कि उन्हें न्याय मिलेगा और द्वेषतापूर्वक कार्रवाई करने वाली सरकार को करारा जवाब मिलेगा।

इस्तीफा

होली के दिन दिया था सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा

कांग्रेस से अपनी नाराजगी को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गत 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उनके समर्थन में छह मंत्री और 16 अन्य विधायकों ने भी विधानसभा स्पीकर को अपने इस्तीफे सौंप दिए थे। इससे कमलनाथ सरकार के सत्ता में बने रहने पर संकट खड़ा हो गया है। इसके बाद 11 मार्च को सिंधिया ने भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस को और भी बड़ा झटका दे दिया था।

दर्द

सिंधिया ने सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में बयां किया था अपना दर्द

सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे में सिंधिया ने लिखा था कि वह 18 वर्षों से कांग्रेस के सदस्य रहे हैं, लेकिन अब राह अलग करने का वक्त आ गया है। वह अपने कार्यकर्ताओं और राज्य के लिए कांग्रेस में रहकर काम नहीं कर पा रहे हैं। वह पिछले साल से इससे बच रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस में और नहीं रह सकते। इसके बाद राहुल गांधी ने उनके इस कदम को सुरक्षित राजनीति भविष्य चाहने वाला कदम बताया था।

विधानसभा गणित

ये है मध्य प्रदेश विधानसभा की वर्तमान स्थिति

मध्य प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में दो विधायकों का निधन होने के कारण 228 सदस्य हैं। कांग्रेस के पास 114 और भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक का भी समर्थन है। इस तरह कांग्रेस को फिलहाल 121 विधायकों का साथ है। बहुमत का आंकड़ा 116 है। सिंधिया के करीबी 22 विधायकों के इस्तीफा देने से अब कांग्रेस के पास 92 विधायक बचे हैं। हालांकि, इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।