जानें RTI कानून में क्या बदलाव करने जा रही है मोदी सरकार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सूचना का अधिकार (संशोधन) बिल, 2019 लोकसभा में पेश किया गया।
इसमें सूचना आयुक्तों के वेतन और सेवा की शर्तों पर केंद्र सरकार की शक्तियों को बढ़ाया गया है।
विपक्ष बिल का विरोध कर रहा है और उसका कहना है कि इन संशोधनों से RTI अधिकारियों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
बता दें कि RTI कानून नागरिकों को सरकार के कामकाज से संबंधित जानकारी हासिल करने का अधिकार देता है।
संशोधन
सरकार तय कर सकेगी सूचना आयुक्तों के कार्यकाल की समय सीमा
बिल में RTI अधिनियम, 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन किया गया है।
RTI कानून की धारा 13 केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल की सीमा 5 साल (या 65 वर्ष की उम्र, जो पहले आए) तक की गई है।
अब मोदी सरकार ने अपने बिल में इसमें संशोधन करते हुए कार्यकाल की इस सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है।
अब जितना केंद्र सरकार निर्धारित करेगी, कार्यकाल बस उतने समय के लिए होगा।
धारा 13 में संशोधन
वेतन और भत्ता भी सरकार के हाथ में
धारा 13 में मुख्य चुनाव आयुक्तों को मिलने वाले वेतन, भत्तों और सेवाओं की अन्य शर्तों का प्रावधान है।
पुराने कानून में मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन, भत्ता और सेवा की अन्य शर्ते मुख्य चुनाव आयुक्त के समान थीं, जबकि सूचना आयुक्तों को चुनाव आयुक्तों के समान रखा गया था।
अब मोदी सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए इसे भी केंद्र सरकार की "विवेक" पर डाल दिया है और वो अपने हिसाब से इसका फैसला ले सकती है।
धारा 16
राज्यों के सूचना आयुक्तों से संबंधी नियमों में भी बदलाव
RTI अधिनियम की धारा 16 राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों और सूचना आयुक्तों से संबंधित है।
पुराने कानून में इनका कार्यकाल केंद्रीय सूचना आयुक्तों की तरह 5 साल का निर्धारित किया गया था।
वहीं, इनके वेतन, भत्तों और सेवा की अन्य शर्तों को क्रमश: राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों और राज्य सरकार के मुख्य सचिव के बराबर रखा गया था।
संशोधन के बाद ये भी अब पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा।
विरोध
विपक्ष का आरोप, RTI अधिकारियों की स्वायत्तता होगी प्रभावित
केंद्र सरकार के इन संशोधनों को RTI व्यवस्था की स्वायत्तता को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जो सरकारों के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा हथियार बनकर उभरा है।
संशोधनों के बाद केंद्र सरकार हर मामले में अपने हिसाब से कार्यकाल, वेतन और अन्य सुविधाएं तय कर सकेगी।
विपक्ष का आरोप है कि इससे RTI अधिकारियों की स्वतंत्रता चली जाएगी और वो अपने पूरे कार्यकाल में पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर रहेंगे।
बयान
शशि थरूर ने बताया RTI को खत्म करने की साजिश
कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने संशोधनों का विरोध करते हुए बिल को मुख्य चुनाव आयुक्त की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया।
वहीं, शशि थरूर ने इसे RTI को खत्म करने वाला बिल बताया।
तृणमूल कांग्रेस, DMK और AIMIM के सांसदों ने भी बिल का विरोध किया।
बता दें कि सरकार ने पिछले साल भी इन संशोधनों को पेश करने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद कदम पीछे खींचने पड़े थे।
RTI कानून
क्या है RTI कानून और क्यों है महत्वपूर्ण?
कांग्रेस के गठबंधन की UPA सरकार 2005 में RTI कानून लेकर आई थी।
इसमें नागरिकों को सैन्य और सुरक्षा से संबंधित मामलों को छोड़कर सभी तरह के सरकारी कामकाज के बारे जानकारी का अधिकार दिया गया था।
मात्र एक RTI दायर करके वो ये जानकारी हासिल कर सकते है।
इसे आजाद भारत के सबसे शक्तिशाली और प्रभावी कानूनों में से एक माना जाता है और इसके कारण कई घोटाले भी सामने आए हैं।