दिल्ली: MCD चुनाव के नतीजों के AAP, भाजपा और कांग्रेस के लिए क्या मायने?
क्या है खबर?
दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के नतीजे आ गए हैं और 250 में से 134 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी (AAP) पहली बार MCD में सरकार बनाने जा रही है।
104 सीटों के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर रही, वहीं कांग्रेस ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की। तीन सीटों पर अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इन नतीजों के दिल्ली में तीनों पार्टियों के लिए क्या मायने हैं।
AAP के लिए सबक
शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रियों के इलाकों में हार AAP के लिए चिंताजनक
MCD में जीत के बावजूद कई ऐसी चीजें रहीं जो AAP के लिए चिंता का विषय हैं।
पार्टी उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की विधानसभा सीट पटपड़गंज में चार में से तीन वार्ड हार गई, वहीं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के क्षेत्र के सभी तीन वार्ड भी उसकी हार हुई।
AAP शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने काम का बढ़-चढ़कर प्रचार करती है, ऐसे में इन दोनों की हार उसके प्रचार की चमक को फीकी कर सकती है।
AAP पर सवाल
सिसोदिया के निराशाजनक प्रदर्शन से AAP के भविष्य पर सवाल
एक काबिल राजनेता उसे माना जाता है जो अपने दम पर चुनाव परिणाम पलटने का माद्दा रखता हो। अरविंद केजरीवाल के बाद AAP में नंबर दो सिसोदिया इस पैमाने पर खरे उतरने हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
वो न केवल MCD चुनाव में पार्टी को अपने इलाके में जीत दिलाने में नाकामयाब रहे, बल्कि 2020 विधानसभा चुनाव में भी वो जैसे-तैसे अपनी सीट जीते थे।
उनका ये प्रदर्शन केजरीवाल से परे AAP के भविष्य पर सवाल खड़े करता है।
भाजपा
भाजपा के लिए क्या खबर लेकर आए हैं नतीजे?
इस MCD चुनाव में भाजपा की सीटें भले ही कम हुई हों, लेकिन उसका वोट शेयर 2017 में हुए पिछले चुनाव में 35.5 प्रतिशत से बढ़कर इस बार 39 प्रतिशत हो गया है।
2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को लगभग 38 प्रतिशत वोट मिले थे, ऐसे में उसका कोर वोटबैंक बना हुआ है।
हालांकि वोटर शेयर का इससे आगे न बढ़ना उसके लिए चिंता का विषय है और उसे इस पर मंथन करना होगा।
कांग्रेस
कांग्रेस के लिए नतीजों के क्या मायने?
कांग्रेस के लिए नतीजे खास अच्छे नहीं रहे हैं और वह दिल्ली में समाप्त होती हुई नजर आ रही है। उसे मात्र 12 प्रतिशत वोट मिले।
कांग्रेस के लिए एकमात्र अच्छा संकेत कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर उसके प्रत्याशियों का अच्छा प्रदर्शन रहा।
इससे संकेत मिलता है कि AAP के उनसे संबंधित मुद्दों पर खुलकर न बोलने से मुस्लिम नाराज हो रहे हैं और कांग्रेस की ओर लौट रहे हैं। हालांकि इस संबंध में कुछ भी ठोस कहना जल्दबाजी होगा।