
राफेल डीलः अपने फैसले की समीक्षा को तैयार सुप्रीम कोर्ट, जल्द होगी सुनवाई
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट राफेल डील मामले में दिए गए अपने फैसले के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई को तैयार हो गया है।
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर की थी।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में राफेल डील को लेकर फैसला दिया था। इस फैसले में कहा गया था कि कोर्ट को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सरकार के फैसले में अनियमितता नहीं मिली है।
जानकारी
अटॉर्नी जनरल के खिलाफ भी सुनवाई की याचिका
भूषण ने अपनी याचिका में राफेल मामले में कोर्ट को गुमराह करने के लिए अटॉर्नी जनरल के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई के लिए बेंच बनाएंगे।
फैसला
राफेल डील पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को राफेल डील की जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सरकार के फैसले में अनियमितता नहीं मिली है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट सरकार को 126 विमान खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। कोर्ट के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह मामले के हर पहलू की जांच करे।
क्या आप जानते हैं?
राफेल डील पर आ चुकी है CAG की रिपोर्ट
हाल ही में राफेल डील पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट सामने आई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि मोदी सरकार की डील UPA सरकार से 2.86 प्रतिशत सस्ती रही। हालांकि, इसमें विमान की कीमत का खुलासा नहीं किया गया था।
विवाद
क्या है पूरा विवाद?
UPA सरकार के समय 126 राफेल विमानों का सौदा हुआ था, जिसमें से 18 तैयार हालत में मिलते और बाकी का निर्माण भारत में ही हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर किया जाता।
मोदी सरकार ने इस सौदे को रद्द कर दिया और 2016 में सीधे फ्रांस सरकार के साथ 36 विमानों का सौदा किया, जिसकी कीमत 58,000 करोड़ रुपये है।
सौदे में HAL को हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को शामिल कर लिया गया।
आरोप
विपक्ष ने लगाया अनियमितता का आरोप
विपक्ष राफेल डील को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर रहा है।
कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों की मांग है कि सरकार इन विमानों की कीमत का खुलासा करे।
साथ ही विपक्ष इस डील में अनिल अंबानी की कंपनी को शामिल करने की प्रकिया पर भी सवाल उठा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को इस डील से बाहर किया गया है।