क्या होता है टेबलटॉप रनवे और यह अभी चर्चा में क्यों है?

शुक्रवार शाम वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से भारतीय नागरिकों को लेकर कोझिकोड लौट रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान रनवे से फिसलकर घाटी में गिर गया। इस हादसे में दोनों पायलट समेत 18 लोगों की मौत हुई है और 20 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कुछ विशेषज्ञ इस हादसे की एक वजह एयरपोर्ट के 'टेबल टॉप' रनवे को भी मान रहे हैं। आइये, जानते हैं कि 'टेबल टॉप' रनवे क्या होता है।
ऐसे रनवे आमतौर पर पहाड़ी और पठारी इलाकों में बनाए जाते हैं। दरअसल, पहाड़ों में समतल जगह की कमी होती है। इसलिए थोड़ी ही जगह में ऐसे रनवे बना दिए जाते हैं और इनके आसपास बहुत जगह भी नहीं होती। कई जगहों पर इनके दोनों तरफ या एक तरफ खाई या ढलान होती है। यह रनवे खत्म होते ही खाई आ जाती है ऐसे में इससे उड़ान भरते या उतरते समय बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है।
अगर इसके नाम से इसका मतलब समझने की कोशिश करें तो टेबल के ऊपरी हिस्से के चारों तरफ नीची जगह होती है, वैसे ही इन रनवे के आसपास या सामने खाई या ढलान हो सकती है। ऐसे में अगर कोई विमान रूक नहीं पाता है या उसके ब्रेक नहीं लगते हैं तो हादसा होने का खतरा बढ़ जाता है। इसकी तुलना अगर आम रनवे से करें तो अगर विमान फिसलता भी है तो वह आसपास या सामने जाकर रूक जाएगा।
हवाई सुरक्षा को लेकर काम करने वाले वकील और कार्यकर्ता यशवंत शेनॉय बीबीसी से कहा इस हादसे पर आश्चर्य नहीं हो रहा है। यहां ऐसी दुर्घटना होने की आशंका हमेशा बनी हुई थी। उन्होंने कहा कि किसी भी एयरपोर्ट के लिए रनवे के दोनों तरफ कम से कम 150 मीटर का छोर होना चाहिए, लेकिन जिस जगह यह हादसा हुआ है, वहां ऐसा नहीं है। कोझिकोड का हवाई अड्डा बड़े विमानों के लिए बेहद खतरनाक है।
एक और हवाई सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने कहा कि उन्होंने नौ साल पहले रिपोर्ट में कहा था कि कोझिकोड एयरपोर्ट लैंडिंग के लिए सुरक्षित नहीं है। केरल स्थित चार एयरपोर्ट्स में से कोझिकोड में सबसे छोटा रनवे है। साथ ही बीते बारिश के कारण भी इसे नुकसान पहुंचा है। कैप्टन रंगनाथन ने कहा कि रनवे के बाद तीखी ढलान है और कोई सेफ्टी एरिया नहीं है। अधिकारियों को नौ साल पहले इसके सबूत दिए गए थे।
रंगनाथन ने कहा कि रनवे के दोनों तरफ 200 फीट गहरी घाटिया हैं। यह बहुत तीखा है। इसके बावजूद एयरलाइंस यहां से अंधाधुध संचालन कर रही है। हालांकि, तिरूवनंतपुरम से लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर उनसे सहमत नहीं है। थरूर का कहना है कि यह एयरपोर्ट किसी भी लिहाज से छोटा नहीं है और यहां से बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित होती हैं। उन्होंने खराब मौसम को हादसे की वजह बताया है।