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    क्या है चांदीपुरा वायरस, जिसकी चपेट में आने से गुजरात में हुई 6 बच्चों की मौत?
    चांदीपुरा वायरस से गुजरात में हुई 6 बच्चों की मौत (तस्वीर: फीपिक)

    क्या है चांदीपुरा वायरस, जिसकी चपेट में आने से गुजरात में हुई 6 बच्चों की मौत?

    लेखन भारत शर्मा
    Jul 16, 2024
    09:46 pm

    क्या है खबर?

    दुनिया के कोरोना वायरस महामारी के मामले अभी पूरी तरह थमे भी नहीं कि अब एक और वायरस ने दस्तक दे दी है। इस वायरस को 'चांदीपुरा' कहा जा रहा है।

    इसकी सूचना के बाद स्वास्थ्य एजेंसियां भी सतर्क को गई हैं।

    गुजरात में पिछले 5 दिनों में वायरस के संक्रमण से 6 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसी तरह 12 बच्चों में इसके लक्षण नजर आ रहे हैं।

    आइए इस वायरस के कारण, लक्षण और उपचार जानते हैं।

    पुष्टि

    गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ने की 12 मामलों की पुष्टि

    गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि राज्य में चांदीपुरा वायरस के कुल 12 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 6 बच्चों की मौत हो चुकी और 6 का उपचार जारी है।

    उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञों ने 4 बच्चों की मौत के संभावित कारण के रूप चांदीपुरा वायरस की पहचान की थी। उसके बाद नमूने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में भेजे दिए गए।

    जानकारी

    राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी सामने आए मामले

    स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, वर्तमान में इस वायरस की चपेट में आए अरावली के 3, महिसागर के 2 और खेड़ा के एक बच्चे का अस्पताल में उपचार चल रहा है। इसी तरह राजस्थान में 2 और मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आ चुका है।

    वायरस

    क्या है चांदीपुरा वायरस?

    चांदीपुरा वायरस की सबसे पहले पहचान 1965 में भारत के महाराष्ट्र में की गई थी। नागपुर के चांदीपुरा गांव में इसकी पहचान होने से इसका नाम चांदीपुरा रखा गया है।

    इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया था।

    यह RNA वायरस रबडोविरिडे परिवार और वेसिकुलो वायरस जीनस से संबंधित है, जो वेसिकुलर स्टामाटाइटिस और रेबीज का कारण बनने वाले वायरस संबंधित है।

    आकार

    गोली के आकार का होता है चांदीपुरा वायरस

    वैज्ञानिक एबी सुदीप, वाईके गुरव और वीपी बॉन्ड्रे ने इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित 2016 के एक समीक्षा लेख में लिखा था कि 'रबडो' एक ग्रीक नाम है, जिसक अर्थ 'छड़ी के आकार का' है। यह चांदीपुरा वायरस के गोली के आकार को दर्शाता है।

    जर्नल के अनुसार, यह वायरस ज्यादातर मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके बच्चों में फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज को जिम्मेदार माना गया है।

    खतरा

    कितना खतरनाकर है चांदीपुरा वायरस?

    चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस इंसानों और विशेषकर बच्चों को प्रभावित करता है।

    भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा एशिया और अफ्रीका के देशों में भी इसके मामले सामने आ चुके हैं। साल 2003-04 में मध्य भारत में इसका प्रकोप विनाशकारी था और कुल 322 बच्चों की मौत हुई थी।

    इनमें आंध्र प्रदेश में 183, महाराष्ट्र में 115, और गुजरात में 24 बच्चों की मौत हुई थी। इसकी मृत्यु दर 56 से 75 प्रतिशत तक रही थी।

    लक्षण

    क्या हैं प्रमुख लक्षण?

    यह वायरस मुख्य रूप से 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है। यह पानी या सूखे में रहने वाली फ्लेबोटोमस और सेर्जेंटोमीया प्रजातियों की संक्रमित मक्खियों और मच्छरों के काटने से फैलता है।

    संक्रमण की शुरुआत बुखार से होती है। उसके बाद दौरे, दस्त, उल्टी, दिमाग में सूजन, शरीर में अकड़ने आदि शामिल है।

    गंभीर मामलों में वायरल संक्रमण से कोमा और मृत्यु हो सकती है। ऐसे में सतर्कता बेहद जरूरी है।

    जानकारी

    चांदीपुरा वायरस का क्या है उपचार?

    वर्तमान में चांदीपुरा वायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। ऐसे में लक्षणों के आधार पर इलाज और जटिलताओं को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना ही सबसे अच्छा तरीका है। इसी तरह इसके प्रति जागरुकता फैलाना भी कारगर साबित हो सकता है।

    प्रयास

    सरकार बचाव के लिए क्या कर रही है प्रयास?

    स्वास्थ्य मंत्री पटेल ने लोगों से घबराने की जगह आवश्यक सावधानी बरतने की अपील की है।

    अरावली के मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी एमए सिद्दीकी ने ANI से कहा कि सामूहिक स्तर पर सफाई के लिए 50 टीमें गठित की है।

    इसके अलावा किसानों से मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल, बच्चों को मच्छरों से बचाने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहनाने और घर के साथ अपने आप-साफ सफाई रखने की अपील की है।

    जांच

    18,646 लोगों की जांच की गई

    स्वास्थ्य मंत्री पटेल ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में गहन निगरानी के लिए अधिसूचना जारी की है। इसके अलावा 4,487 घरों में 18,646 लोगों की जांच की गई है।

    उन्होंने बताया कि मक्खियों के प्रकोप को कम करने के लिए 2,093 घरों में कीटनाशकों का छिड़काव भी कराया गया है। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है।

    उन्होंने लोगों को लक्षण नजर आने पर तत्काल नजदीकी चिकित्सालय पहुंचकर उपचार लेने की सहाल भी दी है।

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