
कांग्रेस संकट: आखिरी बार 1999 में हुई थी गांधी परिवार के खिलाफ बगावत, जानें पूरा घटनाक्रम
क्या है खबर?
पार्टी में बड़े सुधारों की मांग करने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं के पत्र ने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में भूचाल ला दिया है। सामूहिक नेतृत्व की मांग करने वाले इस पत्र को कांग्रेस को गांधी परिवार की "गिरफ्त से मुक्त" कराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इससे पहले आखिरी बार 1999 में कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे। तब क्या हुआ था, आइए आपको बताते हैं।
किस्सा
1999 में तीन वरिष्ठ नेताओं ने की थी सोनिया गांधी के खिलाफ बगावत
ये घटना उस समय की है जब अपने पति राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी राजनीति में एंट्री कर चुकी थीं और मार्च, 1998 में उन्हें पार्टी का अध्यक्ष भी बना दिया गया था।
हालांकि अध्यक्ष बनने के एक साल के अंदर ही सोनिया को पार्टी को बगावत का सामना करना पड़ा और 15 मई, 1999 को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीन वरिष्ठ नेताओं- शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर- ने उनके खिलाफ बगावत कर दी।
जानकारी
सोनिया के विदेशी मूल को बनाया बगावत का आधार
इन तीनों वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल को अपनी बगावत का आधार बनाया था और उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित करने के मत को चुनौती दी थी।
इस्तीफा
बगावत के बाद सोनिया ने दिया इस्तीफा, लिखा भावुक त्यागपत्र
वरिष्ठ नेताओं की इस खिलाफत के बाद सोनिया ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) को भेजे गए अपने त्यागपत्र में अपने विदेशी मूल पर उन्होंने लिखा था, "यद्यपि मेरा जन्म विदेशी जमीन पर हुआ है, मैंने भारत को अपने देश के तौर पर चुना और अपनी अंतिम सांस तक मैं भारतीय रहूंगी। भारत मेरी मातृभूमि है और मुझे मेरे प्राणों से भी ज्यादा प्यारी है।"
समर्थन
इस्तीफे के बाद सोनिया के समर्थन में आए बड़े-बड़े नेता और कार्यकर्ता
सोनिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में भूचाल आ गया और उनके समर्थन में पार्टी के अन्य कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। इनमें तब मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह (मध्य प्रदेश), शीला दीक्षित (दिल्ली), अशोक गहलोत (राजस्थान) और गिरिधर गमांग (ओडिशा) भी शामिल थे।
इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी देशभर में प्रदर्शन करते हुए सोनिया से इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया और सैकड़ों कार्यकर्ता अपनी इस मांग के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए।
वापसी
बागी नेताओं को बाहर निकालने की शर्त पर वापसी को तैयार हुईं सोनिया
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बहुत अनुरोध करने के बाद आखिरकार सोनिया गांधी फिर से अध्यक्ष बनने को तैयार हो गईं। हालांकि इसके लिए उन्होंने बगावत करने वाले तीनों नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने की शर्त रखी।
20 मई, 1999 को कांग्रेस ने पवार, संगम और अनवर को छह साल के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया और 25 मई, 1999 को सोनिया ने अध्यक्ष के तौर पर फिर से कांग्रेस में वापसी की।
जानकारी
बागी नेताओं ने बनाई अलग पार्टी
कांग्रेस से बाहर किए जाने के बाद पवार, संगमा और अनवर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। पवार अभी इस पार्टी के अध्यक्ष हैं, वहीं अनवर 2018 में पार्टी छोड़ कांग्रेस में चले गए। संगमा भी अंदर-बाहर होते रहे।