राहुल से पहले गांधी परिवार के ये सदस्य भी लड़ चुके हैं दक्षिण भारत से चुनाव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार दो सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले हैं। अपनी पारंपरिक अमेठी सीट के साथ राहुल केरल की वायनाड सीट से भी मैदान में उतरेंगे। राहुल ने यह फैसला काफी सोच समझ कर लिया गया है और पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ ऐसा ही किया था। वैसे राहुल से पहले कांग्रेस के अन्य दिग्गज भी दक्षिण भारत से किस्मत आजमा चुके हैं। इससे पार्टी को क्या फायदा हुआ आइए जानते हैं।
कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लड़ी थीं इंदिरा गांधी
राहुल की दादी और देश के सबसे मजबूत प्रधानमंत्रियों में शुमार की जाने वाली इंदिरा गांधी 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ी थीं। आपातकाल के बाद हुए 1977 लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करने वाली कांग्रेस के लिए उनका यह कदम काफी कारगर सिद्ध हुआ और पार्टी ने 1980 लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की सभी 27 लोकसभा सीटों पर कब्जा करके दिल्ली की राजनीति में वापसी की।
सोनिया ने बेल्लारी से लड़कर बढ़ाई कांग्रेस की सीटों की संख्या
इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी भी दक्षिण भारत से चुनाव लड़ चुकी हैं। 1999 लोकसभा चुनाव में वह अमेठी के साथ-साथ कर्नाटक के बेल्लारी सीट से भी चुनाव लड़ी थीं। उनके खिलाफ भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज उतरी थीं, इसके बावजूद वह जीत दर्ज करने में सफल रहीं। सोनिया के यहां से मैदान में उतरने का यह फायदा हुआ कि राज्य की 28 सीटों पर कांग्रेस का आंकड़ा 5 से बढ़कर 18 हो गया।
इसलिए होता है कांग्रेस को फायदा
दरअसल, गांधी परिवार के किसी सदस्य के दक्षिण भारत की सीट से मैदान में उतरने पर कांग्रेस को होने वाले फायदे का मुख्य कारण इसका राजनीतिक महत्व है। दक्षिण भारत में लोगों की हमेशा यह चाह रही है कि दिल्ली की सीट पर उनके यहां से जाने वाले किसी व्यक्ति का कब्जा हो। गांधी परिवार को सदस्य हमेशा ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार रहता है, इसलिए उनके यहां से लड़ने पर कांग्रेस पार्टी को हमेशा फायदा होता है।
दक्षिण भारत में कांग्रेस को फिर से खड़ा करना है राहुल का लक्ष्य
यही कारण है कि राहुल अमेठी के साथ-साथ दक्षिण भारत की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। वह इसके जरिए पूरे दक्षिण भारत को साधना चाहते हैं। इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। अभी केरल की 20 लोकसभा सीटों में से 8 कांग्रेस के पास है और राहुल इस आंकड़े को सुधारने के साथ-साथ पूरे दक्षिण भारत में पार्टी को फिर से मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।