तीन तलाक: राज्यसभा में सरकार के सामने चुनौती, विपक्ष ने बनाई रणनीति
तीन तलाक विधेयक को लेकर सरकार के सामने आज राज्यसभा की चुनौती है। लोकसभा में केंद्र सरकार ने इस विधेयक को आसानी से पास करवा लिया था, लेकिन राज्यसभा में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) संख्याबल की चुनौती से जूझ रही है। ऐसे में सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। वहीं विपक्ष ने राज्यसभा में विधेयक पेश होने से पहले सभापति को चिट्ठी लिखकर विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है।
विपक्ष ने बैठक कर बनाई रणनीति
राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच कार्रवाई को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया है। माना जा रहा है कि 2 बजे तीन तलाक विधेयक पेश किया जा सकता है। उससे पहले विपक्ष ने बैठक कर अपनी रणनीति बनाई है। इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, AAP नेता संजय सिंह, SP नेता रामगोपाल यादव, TMC के डेरेक ओ ब्रायन, CPI के डी राजा आदि शामिल हुए। सभापति को भेजी गई चिट्ठी पर 12 दलों की सहमति है।
विपक्ष की मांग
विपक्षी दल इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दलों की आपत्ति बिल में सजा के प्रावधान पर है। विपक्ष का कहना है कि इसमें सजा पाने वाले व्यक्ति के परिवार का ध्यान नहीं रखा गया है।
सरकार की तैयारी
इस विधेयक को लेकर सरकार पूरी तैयारी के साथ कदम बढ़ा रही है। इसे लेकर आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उच्च स्तरीय बैठक हुई है। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने हिस्सा लिया। वहीं सरकार की तरफ से विजय गोयल ने सभी विपक्षी दलों से विधेयक को समर्थन की मांग को लेकर संपर्क साधा है।
राज्यसभा में सरकार के सामने चुनौती
राज्यसभा में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन NDA के कुल 86 सांसद है, वहीं विपक्ष के सांसदों की संख्या 97 है। जबकि TRS के 6, BJD के 9 और AIADMK के 13 सांसद किसी भी खेमे में नहीं है। AIADMK के मतदान के समय वॉकआउट करने के बाद अब पार्टी के रूख पर संशय बना हुआ है। ऐसे में AIADMK, PDP, BJP, TRS, YSRSP के 32 सांसदों की भूमिका अहम है। ये सदन में किसी गठबंधन में शामिल नहीं है।
क्या होगा अगर विधेयक पास नहीं हुआ?
सरकार लोकसभा चुनावों से पहले इस विधेयक को पास कराना चाहती है। आम चुनावों से पहले यह इस सरकार का आखिरी सत्र है। इसलिए सरकार इस कानून को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखाना चाहती है। अगर यह विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं होता है तो सरकार को एक बार फिर अध्यादेश लाना होगा। ऐसी स्थिति में इस सरकार के पास से अपने इस कार्यकाल में तीन तलाक पर कानून बनाने का मौका निकल जाएगा।