महाराष्ट्र: बहुमत परीक्षण में अहम साबित होगा निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों का रोल, जानें समीकरण
महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में सबकी नजरें अब भाजपा सरकार के बहुमत परीक्षण पर हैं। शनिवार सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस को अब विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करना होगा। अजित पवार के खेमे के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में कमजोर पड़ने के बाद भाजपा के लिए बहुत साबित करना बेहद ही मुश्किल होगा। ऐसे में निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायक बहुमत परीक्षण में निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं।
किस-किस ने अब तक दिया भाजपा को समर्थन?
महाराष्ट्र विधानसभा में 13 निर्दलीय विधायक हैं, जिनमें से 11 भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। वहीं राज्य में छोटी पार्टियों के कुल मिलाकर 16 विधायक हैं। इनमें से बहुजन विकास अघाड़ी (BVA) के तीन और किसान एवं मजदूर पार्टी (PWA), युवा स्वाभिमान पार्टी (YSP) और जन सुराज्य शक्ति पार्टी के एक-एक विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। इसके अलावा भाजपा को चुनाव पूर्व गठबंधन के साथी राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक विधायक का भी समर्थन हासिल है।
अजित पवार के कमजोर पड़ने पर टूटेंगी भाजपा की उम्मीदें
भाजपा के पास अपने खुद के 105 विधायक हैं और इन 17 विधायकों के समर्थन के बाद विधानसभा में उसका संख्याबल 122 पहुंच जाता है। NCP से बागी होकर भाजपा के साथ आए अजित पवार के पास 6 विधायक होने की खबरें हैं। अगर इन विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो भाजपा का संख्याबल 128 पहुंचता है जो बहुमत के आंकड़े 145 से कम है। ऐसे में भाजपा के लिए बहुमत साबित करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
भाजपा को इन तीन पार्टियों से नहीं समर्थन की उम्मीद
भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी बाकी बचे निर्दलीय विधायकों को भी अपनी तरफ करने में कामयाब रहेगी। इस तरह उसका आंकड़ा 130 पहुंच जाएगा। इस पूरे गणित में से जो छोटी पार्टियां अभी तक बाहर हैं, उनमें असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और समाजवादी (सपा) पार्टी के दो-दो और CPI(M) का एक विधायक शामिल है। भाजपा को इन तीनों ही पार्टियों से समर्थन मिलने की उम्मीद न के बराबर है।
सपा ने दिया शिवसेना को समर्थन, AIMIM ने किया विपक्ष में बैठने का फैसला
सपा पहले ही शिवसेना को अपना समर्थन दे चुकी है। पार्टी नेता अबू आजमी का कहा था, "हमारा लक्ष्य भाजपा को सत्ता से बाहर रखना है और इसलिए शिवसेना को समर्थन देना अनिवार्य था।" वहीं AIMIM ने अभी तक किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं दिया है और विपक्ष में बैठने का फैसला लिया है। पार्टी सांसद इम्तियाज जलील का कहना है कि चूंकि उन्होंने सबका विरोध किया था, इसलिए वे किसी से समझौता नहीं करेंगे और विपक्ष में बैठेंगे।
एक-एक वोट होगा महत्वपूर्ण
इस पूरे घटनाक्रम में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में किसी की भी सरकार बने, उसे निर्दलीयों और छोटी पार्टियों पर निर्भर रहना होगा और उनका "अच्छा ख्याल" रखना होगा क्योंकि एक-एक वोट बेहद महत्वपूर्ण है।
शिवसेना-NCP-कांग्रेस को भी पड़ सकती हैं निर्दलीय विधायकों की जरूरत
बता दें कि अजित पवार की बगावत के बाद शिवसेना, कांग्रेस और NCP का संख्याबल भी कमजोर हुआ है और इन तीनों पार्टियों को भी बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कुछ निर्दलीयों की जरूरत पड़ सकती है। राज्य विधानसभा में शिवसेना के 56, NCP के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। ये कुल मिलाकर 154 होते हैं। अजित पवार के साथ अगर 10 विधायक भी जाते हैं तो इन तीनों पार्टियां को छोटी पार्टियों की जरूरत पड़ेगी।
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