भाजपा ने दिल्ली में 27 साल बाद कैसे फहराया जीत का परचम? जानिए 5 बड़े कारण
क्या है खबर?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं। अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से भाजपा 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) 22 सीटों जीत दर्ज करती दिख रही है।
इसके साथ दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनना तय हो गया है और 3 बार से चुनाव जीत रही AAP की सरकार से विदाई हो गई है।
ऐसे में आइए उन 5 प्रमुख कारणों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने भाजपा की सत्ता में वापसी कराई है।
#1
भाजपा ने AAP के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा
दिल्ली में AAP ने 2021 में नई आबकारी नीति जारी की थी। भाजपा ने इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उपराज्यपाल से शिकायत की।
मामले की जांच करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह और कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया।
हालांकि, बाद में इन सभी को जमानत मिल गई। इस मामले में AAP को रक्षात्मकर होना पड़ा और जनता में उसकी छवि खराब हो गई।
#2
दिल्ली की बदहाली और गंदे पानी का मुद्दा उठाना
AAP सरकार में दिल्ली के कई इलाकों में नागरिक सुविधाओं की हालत काफी खराब रही। AAP ने नगर निगम चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी।
खुली नालिंया और सड़कों पर फैले सीवर के गंदे पानी से लोगों को परेशानी उठानी पड़ी।
इसी तरह भाजपा ने दिल्ली में घरों के नलों में आ रहे गंदे पानी को भी मुद्दा बना दिया। AAP इसका समाधान नहीं कर सकी और चुनाव में इसका असर देखने को मिला।
#3
केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास को बनाया मुद्दा
भाजपा ने दिल्ली में पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री आवास को मुद्दा बनाए रखा। मुख्यमंत्री आवास को भाजपा ने शीशमहल बनाकर पेश किया।
इस साल 3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशोक विहार में कहा था, "मैं भी कोई शीशमहल बना सकता था, लेकिन मेरा सपना था कि देशवासियों को पक्का घर मिले।।"
भाजपा ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री आवास को सजाने पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। यह मुद्दा भी AAP के खिलाफ रहा।
जानकारी
RSS का साथ मिलना
भाजपा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का हिस्सा है। चुनाव के दौरान RSS पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद करता है। इस बार भी RSS स्वयंसेवक और प्रचारक भाजपा के पक्ष में सक्रिय रहे। वह काफी पहले से ही भाजपा के प्रचार में जुट गए।
#4
भाजपा ने बनाई बेहतर रणनीति
दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा ने दीर्घकालिक रणनीति बनाई थी।
भाजपा नेता और कार्यकर्ता पिछले काफी समय से दिल्ली की झुग्गी बस्तियों, दलितों, पिछड़ों और दूसरे क्षेत्रीय और जातिय समूहों के साथ समन्वय कर अपना विस्तार कर रहे थे।
इस काम के लिए भाजपा ने बाहर से भी लोगों को बुलाया था। ये लोग बिना शोर-शराबे के अपना काम करते रहे। इसका परिणाम यह निकला कि AAP अपना खुद का वोट बैंक भी नहीं बचा पाई।
#5
सावधानी के साथ उम्मीदवारों का चयन
भाजपा ने इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों चयन में बहुत सावधानी बरती। उसने अपने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में लड़ने के लिए उतार दिया।
प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, दुष्यंत गौतम जैसे नेताओं का उम्मीदवार बनाना इसी रणनीति का हिस्सा था। इसका फायदा भी भाजपा को मिला।
हालांकि, भाजपा के बड़े उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन तो नहीं कर पाए, लेकिन इसने कार्यकर्ताओं में अच्छा मैसेज गया और वो पूरी ताकत से पार्टी के पक्ष में जुट गए।