
हरसिमरत कौर का यूटर्न; कहा- कृषि विधेयकों को किसान विरोधी नहीं बोला, ये किसानों के आरोप
क्या है खबर?
नरेंद्र मोदी सरकार से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपनी बात से यूटर्न ले लिया है।
सरकार के साथ तीन कृषि विधेयकों पर अपनी पार्टी के मतभेदों के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया था।
अब हरसिमरत का कहना है कि उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि ये विधेयक 'किसान विरोधी' हैं और ये किसानों की तरफ से लगाए जा रहे आरोप हैं।
बयान
किसान ही बता रहे किसान विरोधी विधेयक- हरसिमरत
इंडिया टूडे को दिए इंटरव्यू में हरसिमरत ने कहा कि वो साफ कर देना चाहती हैं कि वो इन कृषि विधेयकों को 'किसान विरोधी' नहीं बता रही है। उन्होंने कहा, "मैं इन्हें किसान विरोधी विधेयक नहीं बता रही हूं। किसान ही इन विधेयकों को किसान विरोधी बता रहे हैं।"
जब उनसे पूछा किया गया कि क्या उन्हें लगता है कि ये विधेयक किसान विरोधी हैं तो उन्होंने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि वो क्या सोचती हैं।
इस्तीफा
विधेयकों को किसान विरोधी बता हरसिमरत ने दिया था इस्तीफा
गुरुवार शाम को हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
वो मोदी सरकार में 2014 से ही अपनी पार्टी की तरफ से एकमात्र प्रतिनिधि थीं।
इस्तीफा देने के बाद उन्होंने ट्वीटर पर लिखा था, 'मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। मुझे किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है।''
प्रतिक्रिया
देर से आया प्रधानमंत्री मोदी का आश्वासन- हरसिमरत
वहीं हरसिमरत कौर ने इन विधेयकों को लेकर दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के आश्वासन को देर से उठाया गया कदम बताया है।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि वो किसानों को आश्वासन देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की आभारी हैं। वो और भी आभारी होती अगर प्रधानमंत्री मोदी यह काम एक-डेढ़ महीने पहले करते, जब वो उन्हें बता रही थी कि किसानों को भरोसा दिलाए जाने की जरूरत है।
आश्वासन
प्रधानमंत्री ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कृषि विधेयकों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इनकी मदद से किसान बेड़ियों से आजाद होगा और अपनी फसल को जहां चाहेगा वहां बेच सकेगा।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग मनगढ़ंत बातें कर किसानों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए ये विधेयक लाए गए हैं ताकि उन्हें अपनी फसल के उचित दाम मिल सके।
विधेयकों का विरोध
किसानों की पार्टी है अकाली दल- सुखबीर बादल
इससे पहले लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा के दौरान SAD के अध्यक्ष और हरसिमरत कौर के पति सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है।
उन्होंने कहा कि इस बिल से 20 लाख किसानों पर असर पड़ेगा।
बयान
भाजपा के सहयोग पर करेंगे विचार- बादल
विधेयकों के मुद्दे पर सरकार से अलग रास्ते पर चल रही SAD के प्रमुख सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन पर विचार करेगी। इस सिलसिले में जल्द ही बैठक कर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
सवाल
विधेयक में क्यों नहीं लिखी MSP की बात- सुखबीर
सुखबीर ने यह भी पूछा कि जब प्रधानमंत्री मोदी अपने ट्वीट में बता रहे थे कि ये विधेयक किसान विरोधी नहीं हैं और सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म नहीं करेगी तो इसे विधेयक में लिखा क्यों नहीं गया है?
फिरोजपुर से सांसद सुखबीर कहा कि सिर्फ ट्वीट करने से भरोसा नहीं दिलाया जा सकता। उन्हें यह बात विधेयक में लिखनी चाहिए थी। प्रधानमंत्री को सदन में आकर भरोसा दिलाना चाहिए था। इसमें क्या परेशानी है?
जानकारी
क्या हैं कृषि विधेयक के प्रावधान और उनके विरोध की वजह?
केंद्र सरकार के तीन कृषि विधेयकों ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। न केवल किसान और विपक्षी पार्टियां बल्कि भाजपा के कुछ सहयोगी भी इन क विरोध कर रहे हैं। आप यहां टैप कर इनके बारे में विस्तार से जान सकते हैं।