दुनिया में सबसे महंगे हुए भारत के लोकसभा चुनाव, इतना पैसा खर्च होने का अनुमान
हाल ही में संपन्न में हुए लोकसभा चुनाव दुनिया के सबसे महंगे चुनाव थे। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) की रिपोर्ट के मुताबिक, इन चुनावों पर 60,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर वोटर पर लगभग 700 रुपये और हर लोकसभा क्षेत्र पर 100 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है। बता दें, देश की 17वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में चुनाव हुए थे। इन चुनावों में भाजपा को बहुमत मिला था।
ऐसे लगाया गया खर्च का अनुमान
रिपोर्ट में लगाए गए अनुमान के लिए PEE (परसेप्शन, एक्सपीरिएंस और एस्टीमेशन) पद्धति का इस्तेमाल किया गया था। इस अनुमान के मुख्य स्त्रोत पार्टियों और उम्मीदवारों के प्रचार कार्यक्रम, चुनिंदा लोकसभा क्षेत्रों में मतदाताओं का विश्लेषण, जनसांख्यिकीय विभाजन, फील्ड स्टडी और मीडिया कवरेज आदि हैं।
2014 के चुनावों से दोगुना खर्च
2019 के लोकसभा चुनावों पर पिछले चुनावों की तुलना में दोगुना खर्च हुआ है। CMS का अनुमान है कि 2014 लोकसभा चुनावों पर 30,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। वहीं इस बार के लोकसभा चुनावों पर यह खर्च दोगुना होकर 60,000 करोड़ रुपये हो गया है। इस खर्च के साथ भारत की 17वीं लोकसभा के चुनाव दुनिया के सबसे महंगे चुनाव बन गए। 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर 46,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
कुल खर्च में से 45 फीसदी अकेली भाजपा का
रिपोर्ट के मुताबिक, इन चुनावों में कुछ खर्च का 45 फीसदी हिस्सा भाजपा का है। 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में कुल खर्च में से 20 फीसदी हिस्सा भाजपा का था, जो इस बार बढ़कर 45 फीसदी हो गया है। वहीं कांग्रेस ने 2009 में चुनावों में हुए कुल खर्च का 40 फीसदी हिस्सा खर्चा था, वह 2019 लोकसभा चुनावों में घटकर 15-20 प्रतिशत रह गया है। यानी इस बार के लगभग आधा खर्च अकेली भाजपा ने किया है।
एक-दूसरी पार्टियों से मदद लेने की बात
CMS ने कहा कि विपक्षी दलों के नेता एक-दूसरे पर अज्ञात स्त्रोतों से मदद पाने का आरोप लगाते रहे। दावा किया जा रहा है कि तेलुगू देशम पार्टी ने 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को तेलंगाना राष्ट्र समिति की तरफ से 1,000 करोड़ और भाजपा की तरफ से 500 करोड़ रुपये मिले। कई ऐसी भी खबरें आईं जहां पार्टी के नेता पार्टी द्वारा खर्च किए जा रहे पैसे के बारे में बता रहे थे।
अगले चुनावों में एक लाख करोड़ से पार पहुंचेगा खर्च
CMS के मुताबिक, 1998 के चुनावों में 9,000 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके अगले साल 1999 में हुए चुनावों में यह खर्च बढ़कर 10,000 करोड़ हो गया। चुनावों में खर्च 2004 में 14,000 करोड़ रुपये, 2009 में 20,000 करोड़ रुपये, 2014 में 30,000 करोड़ रुपये और इस बार के चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये हो गया। अनुमान है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में यह खर्च एक लाख करोड़ से पार चला जाएगा।
कहां कितना पैसा हुआ खर्च
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 12-15 हजार करोड़ रुपये सीधे मतदाताओं को बांटा गया है। 20-25 हजार करोड़ प्रचार, 5-6 हजार करोड़ लॉजिस्टिक, 10-12 हजार करोड़ चुनाव आयोग और औपचारिक खर्च और अन्य कामों के लिए 3-6 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।