ISRO ने दिखाई चंद्रयान-2 की पहली झलक, अगले महीने किया जाएगा लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जुलाई में दूसरे चंद्रयान मिशन की योजना बना रहा है। ISRO ने इस मिशन पर भेजे जाने वाले मॉड्यूल की फोटो जारी की है। मिशन पर तीन मॉड्यूल भेजे जाएंगे। इनमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर होगा। इसकी खासियत यह है कि यह पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है। ISRO ने बताया कि इसमें 13 पेलोड्स (ऑर्बिटर में आठ, लैंडर में तीन और रोवर में दो) होंगे और एक NASA का प्रयोग होगा।
GSLV MK-III से लॉन्च होगा चंद्रयान-2
ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर चांद के दक्षिण ध्रुव के पास सतह पर उतरेगा और रोवर चांद की सतर पर प्रयोग करेगा। लॉन्चिंग के वक्त रोवर लैंडर के अंदर रहेगा और ऑर्बिटर और लैंडर को साथ रखा जाएगा। इस यान को ISRO के GSLV MK-III लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया जाएगा। धरती की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर प्रोपल्शन मॉड्यूल की मदद से यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा।
6 सितंबर को चांद पर पहुंचेगा चंद्रयान-2
इस यान का कुल भार ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) समेत 3.8 टन होगा। चंद्रयान-2 को 9 जुलाई से 16 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 6 सिंतबर को चंद्रमा की सतह पर उतर जाएगा।
मिशन पर टिकी हैं दुनियाभर की नजरें
चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहले से निर्धारित स्थान पर लैंड करेगा। इसके बाद लैंडर से बाहर निकल रोवर सतर पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। ISRO ने बताया कि रोवर के अलावा ऑर्बिटर और लैंडर पर भी उपकरण लगाए गए हैं ताकि जरूरी प्रयोग किए जा सकें। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजरें इस मिशन पर टिकी हैं।
हर 15 मिनट पर डाटा भेजेगा रोवर
रोवर चंद्रमा पर 14 दिन रहेगा। 6 पहिये वाले रोवर का वजन 20 किलो है। यह अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा। वह इस दौरान चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा और ऑर्बिटर के जरिए हर 15 मिनट में खनिज एवं अन्य पदार्थों के बारे में डाटा और तस्वीरें भेजेगा। अगर यह मिशन सफल रहा तो भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक रूस, अमेरिका और चीन ही ये कारनामा कर पाये हैं।
चंद्रयान-1 का अपग्रेडेड वर्जन है चंद्रयान-2
ISRO प्रमुख के सिवान ने जनवरी में कहा था, "हम चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास ऐसी जगह जा रहे हैं जहां आजतक कोई नहीं गया है।" चंद्रयान-2 से पहले भारत ने चंद्रयान-1 मिशन में 11 पेलोड्स भेजे थे। इनमें से भारत के पांच, यूरोप के तीन, अमेरिका के दो और एक पेलोड बुल्गारिया का था। इस मिशन को चांद की सतह पर पानी की खोज का श्रेय दिया जाता है। पूरी दुनिया में इस मिशन की तारीफ हुई थी।