हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस के 6 बागियों समेत 11 विधायक पहुंचे उत्तराखंड, क्या बोले मुख्यमंत्री सुक्खू?
क्या है खबर?
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट अभी भी मंडरा रहा है। अब राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग करने के बाद अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के 6 विधायकों समेत कुल 11 विधायक उत्तराखंड भेजे गए हैं।
खबर है कि इन्हें चार्टर्ड विमान से ऋषिकेश भेजा गया है, जहां सभी को एक बड़ी होटल में कड़ी सुरक्षा में ठहराया गया है। इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी बयान आया है।
बयान
क्या बोले सुक्खू?
सुक्खू ने कहा, "हमें पता चला कि 3 निर्दलीय विधायकों के साथ 6 बागी विधायकों को चंडीगढ़ हवाई अड्डे से एक चार्टर्ड विमान द्वारा ले जाया गया था। वे ललित होटल में नहीं हैं। कहां ले जाया गया इसकी सूचना नहीं है। इन अयोग्य विधायकों के परिवार के सदस्य उनसे वापस लौटने का आग्रह कर रहे थे और किसी भी दबाव से बचने के लिए कुछ राजनीतिक शक्तियों ने उन्हें चंडीगढ़ से स्थानांतरित कर दिया है।"
विधायक
कौन-कौनसे विधायक भेजे गए उत्तराखंड?
ANI के मुताबिक, आज सुबह हरियाणा की नंबर प्लेट वाली एक बस ऋषिकेश के ताज होटल में पहुंची है। बस में 6 बागी और 3 निर्दलीय विधायकों सहित 11 विधायक सवार थे। सभी को भारी सुरभा व्यवस्था के बीच यहां लाया गया है।
विधायकों में कांग्रेस के सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा के विक्रम ठाकुर और त्रिलोक जमवाल भी साथ में बताए जा रहे हैं।
मुलाकात
सुक्खू ने कांग्रेस आलाकमान से की मुलाकात
सुक्खू ने दिल्ली में प्रियंका गांधी, महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर सियासी हालात की जानकारी दी। सुक्खू ने खड़गे और प्रियंका को विधायकों को एकजुट रखने, नाराजगी दूर करने और केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सुझावों पर काम करने से संबंधी जानकारी दी है।
आलाकमान से मुलाकात के बाद बागी विधायकों को लेकर सुक्खू के तेवर नरम पड़े हैं। उन्होंने कहा कि सुबह का भूला वापस आना चाहे तो दरवाजे खुले हैं।
वजह
हिमाचल में क्यों मची है उथल-पुथल?
राज्य में हालिया सियासी उठापटक राज्यसभा चुनावों के दौरान शुरू हुई थी। तब कांग्रेस के 6 विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया था।
बाद में स्पीकर ने दलबदल कानून का हवाला देकर इन सभी की सदस्यता रद्द कर दी थी। विधायकों ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है।
इससे पहले लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था।