मुफ्त चुनावी उपहारों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र समेत कई राज्य सरकारों को नोटिस जारी
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जनता को लुभाने के लिए दी जा रही मुफ्त उपहारों और नकदी योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। करदाताओं के खर्च पर नकदी और अन्य उपहारों के मुफ्त वितरण के खिलाफ दाखिल एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार, राजस्थान सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और चुनाव आयोग से 4 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
सभी याचिकाओं को एक साथ किया
सुप्रीम कोर्ट ने नई जनहित याचिका को चुनाव से पहले राजनीतिक दलों द्वारा दी जाने वाली मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ पहले से लंबित अन्य याचिकाओं के साथ मिला दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 अगस्त को एक विशेषज्ञ समूह गठित करने का फैसला किया था, जिसमें सरकार, विपक्षी दल, नीति आयोग, चुनाव आयोग, वित्त आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सदस्य राजनीतिक दलों द्वारा घोषित मुफ्त उपहारों के प्रभाव का अध्ययन करेंगे।
क्या है मुफ्त उपहारों का पूरा मुद्दा?
चुनाव के दौरान जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं और नकदी योजनाओं के वादे को मुफ्त उपहार की श्रेणी में गिना जाता है। एक वर्ग का मानना है कि ऐसा करके करदाता के पैसों का गलत तरीके से उपयोग किया जाता है और पार्टी की सरकार बनने पर खर्च बढ़ जाता है। केंद्र से लेकर दिल्ली और मध्य प्रदेश तक, लगभग हर राज्य की सरकार जनता को कोई न कोई मुफ्त उपहार देती है।