चुनाव आयोग की हाई कोर्ट से गुहार- मीडिया को मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोका जाए
क्या है खबर?
चुनाव आयोग ने मद्रास हाई कोर्ट से मीडिया को उन मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने उसके अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की बात कही थी।
आयोग ने यह भी दलील दी कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि प्रचार के कारण चुनावों वाले राज्यों में कोरोना के मामलों में दूसरों से अधिक तेजी आई है।
पृष्ठभूमि
मद्रास हाई कोर्ट ने आयोग को लगाई थी फटकार
मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए उसे महामारी के प्रसार का जिम्मेदार ठहराया था।
कोर्ट ने पूछा कि प्रतिदिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद आयोग ने रैलियों की अनुमति कैसे दे दी? आयोग ने रैलियों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?
हाई कोर्ट ने कहा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को चुनावी रैलियों की अनुमति देने को लेकर आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
जानकारी
ऐसी रिपोर्ट्स ने आयोगी की छवि को धूमिल किया- याचिका
आयोग ने अपनी याचिका में कहा कि वह उन मीडिया रिपोर्ट्स से व्यथित है, जिसमें कहा जा रहा है कि मद्रास हाई कोर्ट ने मौजूदा स्थितियों के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है और उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा चलना चाहिए।
याचिका में आगे कहा गया है कि इन रिपोर्ट्स ने भारत के चुनाव आयोग की छवि को धूमिल किया है, जो एक संवैधानिक और स्वतंत्र संस्था है और जिसके पास चुनाव कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
दलील
ऑफ रिकॉर्ड टिप्पणियों की रिपोर्टिंग की न मिले इजाजत- आयोग
आयोग ने कहा कि कोर्ट की टिप्पणियों के बाद पश्चिम बंगाल में उप चुनाव आयुक्त के खिलाफ हत्या का आरोप लगाते हुए शिकायत भी दर्ज कराई जा चुकी है।
सुनवाई के दौरान आयोग ने दलील दी कि किसी को भी अदालत की उन टिप्पणियों को रिपोर्ट करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए, जो रिकॉर्ड पर न हों। तमिलनाडु में 4 अप्रैल को चुनाव खत्म हो गए थे तो कोर्ट के लिए इस टिप्पणी का कोई मौका नहीं था।
विधानसभा चुनाव
चुनावों की घोषणा के वक्त कम थे मामले- आयोग
आयोग ने कहा कि 26 जनवरी को जब केरल, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनावों का ऐलान किया गया था, तब देश में कोरोना के मामले काफी कम थे।
चुनाव आयोग ने यह भी दलील दी कि कलकत्ता और केरल हाई कोर्ट मतगणना के दिन उसके द्वारा किए गए इंतजामों पर संतोष व्यक्त कर चुके हैं।
बता दें कि आयोग ने मतगणना के दिन एजेंटों की RT-PCR टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया है।