राम मंदिर उद्घाटन को लेकर आमने-सामने भाजपा और विपक्ष, जानिए निमंत्रण ठुकराने से संबंधित ताजा विवाद
अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय है। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से विभिन्न राजनीति पार्टियों के नेताओं को न्योता भेजा जा रहा है। इसी बीच मंगलवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं ने कहा कि उन्हें आमंत्रित किया गया है, लेकिन वह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। इससे देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कि यह पूरा विवाद क्या है।
क्या है मामला?
भाजपा 'हिंदुत्व की राजनीति' के बूते केंद्र में सत्तारूढ़ हुई है। लंबे राम मंदिर आंदोलन के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण अंतिम चरण में है। पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का खूब प्रचार-प्रचार कर रही है। इसके लिए राजनीति से लेकर कारोबार और मनोरंजन जगत की की कई नामचीन हस्तियों को न्योता दिया गया है। इस बीच विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल वाम पार्टियों ने केंद्र सरकार पर धार्मिक कार्यक्रम के राजनीतिकरण का आरोप लगाया है।
CPI (M) ने अपने आधिकारिक बयान में क्या कहा?
CPI (M) नेता सीताराम येचुरी ने राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने इनकार कर दिया है। पार्टी ने आधिकारिक बयान में कहा, "धर्म एक व्यक्तिगत पसंद से जुड़ा मामला है। हमारी नीति धार्मिक मान्यताओं और हर व्यक्ति के विश्वास को आगे बढ़ाने के अधिकार का सम्मान करना है।" उन्होंने आगे कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक धार्मिक समारोह का राजनीतिकरण कर दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री समेत सरकारी पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं।"
वृंदा करात बोलीं- एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण सही नहीं
समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में CPI (M) नेता बृंदा करात ने कहा, "हम सभी की धार्मिक आस्था का सम्मान करते हैं। हम राजनीति और धर्म को मिक्स नहीं करना चाहते हैं। भाजपा एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर रही है। यह सही नहीं है।"
पूर्व कांग्रेस नेता सिब्बल बोले- मेरे दिल में हैं भगवान राम
इस बीच पूर्व कांग्रेस नेता के कपिल सिब्बल ने वाम पार्टी के फैसले का समर्थन किया है और उन्होंने भी मंदिर के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा, "भगवान राम मेरे दिल में हैं और मुझे समारोह में शामिल होने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। यह संभवत: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का एक तरह का शक्ति प्रदर्शन होगा।" उन्होंने कहा, "राम ने मेरी हर यात्रा में मेरा मार्गदर्शन किया। इसका मतलब है कि मैंने कुछ सही किया है।"
भाजपा नेता बोलीं- वह पहुंचेंगे, जिन्हें राम जी ने बुलाया है
भाजपा की केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने वाम पार्टी और अन्य नेताओं के राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण मिलने पर भी कार्यक्रम में न आने की घोषणा पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, "इसमें कोई अचंभित होने वाली बात नहीं है क्योंकि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के आयोजकों ने सबको न्योता दिया है, लेकिन पहुंचेंगे वही, जिन्हें राम जी ने बुलाया है। इसका मतलब है कि भगवान भी नहीं चाहते हैं कि वह लोग आएं।"
निमंत्रण मिलने पर कांग्रेस नेताओं के सामने 'धर्म संकट'
INDIA गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के कई नेताओं को भी राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है, जिनमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी जैसे कई नेताओं का नाम शामिल है। इस बीच वाम पार्टी के कार्यक्रम में शामिल न होने के ऐलान से कांग्रेस नेताओं के समक्ष भी 'धर्म संकट' खड़ा हो गया है। अटकलें हैं कि यह नेता भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, लेकिन अभी काई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
लोकसभा चुनाव में क्या हो सकता है नुकसान?
यह तय है कि राम मंदिर उद्घाटन अब नया चुनावी मुद्दा बनेगा। INDIA गठबंधन को राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार करने पर लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं और यहां अल्पसंख्यक मतदाताओं (मुस्लिम) की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है। अगर वह निमंत्रण स्वीकार करता है तो उसकी 'धर्म निरपेक्ष छवि' को झटका लग सकता है। राज्य में मुस्लिम वोटबैंक विपक्ष के हाथ से खिसक सकता है।