कर्नाटक: कांग्रेस-JD(S) गठबंधन पर संकट के बादल, कांग्रेस का अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला
क्या है खबर?
कांग्रेस 17 विधायकों की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई है और इसे जनता दल (सेक्युलर) के साथ उसके गठबंधन के अंत के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर राज्य कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन पर अंतिम फैसला शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा है।
लोकसभा चुनाव में JD(S) के साथ गठबंधन में खराब प्रदर्शन के कारण भी कांग्रेस में इसके पक्ष में माहौल बना है।
कांग्रेस बैठक
सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों के लिए टीमों का ऐलान
बेंगलुरू में गुरुवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक में इन 17 विधानसभा क्षेत्रों में जाने के लिए टीमों का ऐलान किया। इन सीटों पर साल के अंत में चुनाव होने हैं।
इन सभी सीटों पर अभी सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की स्थिति कमजोर है और मुख्य लड़ाई कांग्रेस और JD(S) के बीच है।
इसी कारण कांग्रेस के इस ऐलान के बाद माना जा रहा है कि वह गठबंधन का अंत करते हुए अकेले चुनाव लड़ेगी।
बयान
"शीर्ष नेतृत्व लेगा गठबंधन पर फैसला"
सभी 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की जानकारी देते हुए कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने बैठक के बाद गठबंधन के अंत पर कहा, "ये नहीं कह रहा कि गठबंधन खत्म हो गया। ये ऐसा मामला है जिस पर हमारा शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा।"
पिछले नतीजे
लोकसभा चुनाव में नहीं चला था गठबंधन का दांव
बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस JD(S) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी और इसका असर उसके प्रदर्शन पर पड़ा था।
राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बावजूद कांग्रेस और JD(S) को राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से मात्र एक-एक सीट पर जीत मिली थी।
दोनों पार्टियों के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं हुए थे।
इस निराश प्रदर्शन के बाद कांग्रेस और JD(S) गठबंधन के बीच पहले से जारी मतभेद और गहरे हो गए थे।
प्रतिक्रिया
कुमारस्वामी की प्रतिक्रिया, कांग्रेस को होगा गलती का अहसास
गुरुवार की बैठक में कांग्रेस के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि ये स्पष्ट है कि कांग्रेस गठबंधन को जारी नहीं रखना चाहती।
उन्होंने कहा, "अगर उनका ये फैसला है तो हमारे पास अकेले लड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। शायद उपचुनाव के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा।"
उन्होंने कहा कि गठबंधन पर अंतिम फैसला कांग्रेस और JD(S) का राष्ट्रीय नेतृत्व लेगा, राज्य नेतृत्व नहीं।
मतभेद
सरकार के दौरान भी रहा था दोनों पार्टियों में मतभेद
बता दें कि कांग्रेस और JD(S) ने गठबंधन में 14 महीने कर्नाटक सरकार चलाई थी।
इस दौरान बार-बार दोनों पार्टी के नेताओं में मतभेद सामने आते रहे।
एक बार गठबंधन का दर्द बयां करते हुए कुमारस्वामी की आंखू में आंसू भी आ गए थे।
16 बागी विधायकों के इस्तीफे से पैदा हुए संकट के बाद 23 जुलाई को हुए बहुमत परीक्षण में आखिरकार गठबंधन की सरकार गिर गई थी और उसके समर्थन में 105 के मुकाबले 99 वोट पड़े थे।