EVM के बाद चुनावी स्याही पर उठे सवाल, हो रहा आसानी से मिटने का दावा
यूं तो चुनाव से जुड़ी कई चीजें हमारे लिए खास होती हैं, लेकिन इससे संबंधित एक चीज जो 'अमिट' छाप छोड़ जाती है, वह है मतदान के दौरान उंगली पर लगने वाली स्याही। इस स्याही के बारे में दावा किया जाता है कि यह लगभग एक हफ्ते तक रहती है। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में EVM के साथ अब इस स्याही पर भी सवाल उठ रहे हैं और कई लोगों ने इसे आसानी से मिटाने का दावा किया है।
पहले चरण से ही उठ रहे सवाल
नोएडा की पत्रकार रितु कपूर ने 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के बाद सबसे पहले स्याही मिटने का दावा किया था। उन्होंने नेल पॉलिश रिमूवर की मदद से स्याही हटने का दावा करते हुए तस्वीरों के साथ ट्वीट किया था। हैदराबाद की एक अन्य टीवी पत्रकार श्रुति माथुर ने 11 अप्रैल को ही ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए स्याही मिटा कर दिखाई थी। उन्होंने नेल पॉलिश रिमूवर की मदद से चंद सेकंड में स्याही को मिटा दिया।
चंद सेकंड में मिट गया स्याही का निशान
बेंगलुरु के मतदाता ने चुनाव आयोग से की शिकायत
बेंगलुरु में 18 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के दौरान भी स्याही पर सवाल उठे। एक मतदाता ने इस संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में स्याही इनती आसानी से नहीं मिटती थी।
मतदाता की चुनाव आयोग को शिकात
अब कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने किया दावा
अब चौथे चरण के मतदान के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने इनमें अपने दावा भी जोड़ दिया। वोट डालने के 45 मिनट बाद अपनी साफ उंगली की तस्वीर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, "कलंकनीय! बस हल्का सा नेल पॉलिश रिमूवर लगाने से ही मेरे स्याही वोट डालने के एक घंटे के अंदर ही मिट गई। एक दोस्त के स्याही के आसानी से मिटने की तस्वीर भेजने के बाद मैं सबूत के तौर पर अपनी तस्वीर भी भेज रहा हूं।"
कांग्रेस नेता ने भी किया स्याही मिटने का दावा
ज्वैलरी डिजाइनर फराह खान अली ने भी किया समान दावा
इससे पहले मुंबई की ज्वैलरी डिजाइनर फराह खान अली से भी स्याही मिटने का दावा किया। उन्होंने चुनाव आयोग को टैग करते हुए ट्वीट किया, "मैं 2 घंटे पहले वोट किया और मेरी स्याही आसानी से मिट गई। ऐसे कैसे संभव है?"
धांधली रोकने में स्याही का अहम रोल
स्याही का चुनाव में एक अहम रोल है। यह धांधली और लोगों को दोबारा मतदान करने से रोकने में बेहद सहायक सिद्ध होती है। इसका निर्माण मैसूर की एक कंपनी में किया जाता है। इसके बाद CSIR की लैब में इसकी जांच होती है और उसके बाद इसे चुनाव में प्रयोग के लिए भेजा जाता है। चुनाव आयोग ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए 26 लाख बोटल स्याही खरीदी थी। इनकी कुल कीमत 33 करोड़ रुपये बताई जा रही है।