सियाचिन में तैनात रहा जवान, अब लड़ रहा खुद को भारतीय नागरिक साबित करने की लड़ाई
भारतीय सेना में तैनात एक सूबेदार को खुद को भारतीय साबित करने की जंग लड़नी पड़ रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम के बारपेटा जिले के रहने वाले और कोलकाता में तैनात सूबेदार शाहिदुल इस्लाम इन दिनों फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में खुद को भारतीय नागरिक साबित करने का केस लड़ रहे हैं। शाहिदुल ने बताया कि वे कश्मीर, कारगिल और सियाचिन में तैनात रह चुके हैं, लेकिन उनके राज्य में उन्हें शक की निगाह से देखा जाता है।
18 मार्च को होगी सुनवाई
असम पुलिस ने 2003 में शाहिदुल के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उन्हें पिछले साल अक्तूबर में पहली बार फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में पेश होने का नोटिस मिला। इसमें शाहिदुल के अलावा उनकी माता और भाई को भी पेश होने को कहा गया था। नोटिस में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और आर्मी मेडिकल कॉर्प्स (AMC) में काम करने वाले उनके भाईयों के भी नाम शामिल थे। ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई 18 मार्च को होगी।
छलका सूबेदार का दर्द
शाहिदुल ने बताया कि अगर 18 मार्च को उन्हें ड्यूटी पर कहीं बाहर जाना पड़ा तो वे ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा, "मैं कश्मीर, करगिल और सियाचिन में तैनात रहा। मैं अपने देश से प्यार करता हूं और इसकी सुरक्षा के लिए तैनात हूं, लेकिन मेरे अपने ही घर (असम) में मेरी नागरिकता को संदेह की निगाह से देखा जाता है।" बता दें, शाहिदुल का नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) में नहीं है।
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
सूबेदार शाहिदुल की रेजीमेंट, 852 लाइट रेजीमेंट के कमांडिग ऑफिसर कर्नल हरि नायर ने राज्य के मुख्यमंत्री सर्बनंदा सोनोवाल को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि शाहिदुल उनकी कमांड में काम करते हैं और सेना में आने से पहले पुलिस ने उनका सत्यापन किया था। इस सत्यापन में पुलिस ने उन्हें भारतीय नागरिक घोषित किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। यह कमेटी 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
NRC में नहीं थे 40 लाख लोगों के नाम
असम में 30 जुलाई, 2018 को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी किया गया था। इसमें शामिल होने के लिए असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली। इनके बाद इन लोगों पर खुद की नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी आ गई। NRC के हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
सुप्रीम कोर्ट की पहल पर अपडेट हुआ रजिस्टर
बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध घुसपैठियों पर बढ़े विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। असम देश का इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। इसके अंतिम ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं थे, उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प दिया गया था।