मस्जिदों में औरतों के प्रवेश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार
सुप्रीम कोर्ट मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और सबके साथ नमाज पढ़ने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है। पुणे के दंपति यास्मीन जुबेर अहमद पीरजादा और जुबेर अहमद पीरजादा को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक दिया गया था। इसके बाद दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, राष्ट्रीय महिला आयोग और सेंट्रल वक्फ काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या कहा गया था याचिका में?
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लिखा कि भारत में मस्जिदों के अंदर महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत न होना अवैध है। साथ ही यह संविधान की मूल आत्मा का उल्लंघन है। इसी आधार पर यह याचिका दायर की गई है।
'महिला के अधिकारों का उल्लंघन'
सबरीमाला मंदिर पर फैसले का दिया हवाला
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि बेंच सबरीमाला पर दिए गए फैसले के कारण इस याचिका को सुन रही है। इस दौरान जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि इस मामले में स्टेट कहां शामिल है? साथ ही कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दूसरे व्यक्ति से समानता के अधिकार की मांग कर सकता है? इनके जवाब देने के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है।
अभी क्या हैं औरतों के मस्जिदों में जाने के नियम
बीबीसी के मुताबिक, औरतों के मस्जिद में प्रवेश होने पर कुरान में कोई रोक नहीं है। शिया, खोजा और बोहरा मतों वाली मस्जिदों में महिलाएं आसानी से प्रवेश कर सकती है, लेकिन सुन्नी मत में कई लोग महिलाओं को मस्जिद जाना ठीक नहीं मानते। वहीं साथ नमाज पढ़ने के लिए पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग जगह बनाई जाती है। अगर कोई महिला मस्जिद में नमाज पढ़ना चाहती है तो इमाम से कह सकती है।