मोदी सरकार की बड़ी जीत, तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास, अब आगे क्या?
मंगलवार को मोदी सरकार ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए राज्यसभा में तीन तलाक बिल को पास कराने में कामयाबी हासिल की। बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुका था और अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएआ। पहले RTI संशोधन बिल और अब तीन तलाक बिल को राज्यसभा में सफलतापूर्वक पास कराने को मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, जिसके लिए पहले कार्यकाल में राज्यसभा एक बड़ी अड़चन साबित हुई थी।
भाजपा के सहयोगियों JD(U) और AIADMK ने किया वॉकआउट
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 84 वोट पड़े। भाजपा के सहयोगियों जनता दल (यूनाइटेड) और AIADMK बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट कर गए।
तीन तलाक बिल राज्यसभा से भी पास
तत्काल तीन तलाक देने पर होगी 3 साल की सजा
मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी बिल में तत्काल तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत को कानूनी अपराध बनाते हुए 3 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार बिल को दो बार लोकसभा से पास कराने में कामयाब रही थी, लेकिन राज्यसभा से पास न होने के कारण ये कानून का रूप नहीं ले सका। इस कारण सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश पर अध्यादेश लाती रही।
तीन तलाक बिल पर अब आगे क्या?
तीन तलाक बिल लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है और अब राज्यसभा से पारित होने के बाद ये मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही ये कानून का रूप ले लेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया लैंगिंक न्याय की जीत
बिल पास होने पर खुशी व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे न्याय और समानता की जीत बताया। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, "एक प्राचीन और मध्ययुगीन प्रथा आखिरकार इतिहास के कूड़ेदान में चली गई। संसद ने तीन तलाक को समाप्त किया और मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय की ठीक किया। ये लैंगिंक न्याय की जीत है और समाज में समानता को बढ़ाएगी।" वहीं कांग्रेस ने बिल को "राजनीति से प्रेरित" बताया।
राज्यसभा में नंबर गेम में भी भाजपा बनी अव्वल
पहले RTI संशोधन बिल और अब तीन तलाक बिल पर सफलता के बाद मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि वो अब राज्यसभा में भी अपने महत्वपूर्ण बिलों को पास कराने लायक बहुमत जुटा सकती है। वहीं, विपक्ष के लिए ये एक बड़ा झटका है जिसके लिए सरकार पर नियंत्रण रखने का एकमात्र जरिया राज्यसभा ही बचा था। वैसे मोदी सरकार अभी राज्यसभा में बहुमत से दूर है और 242 में से उसके गठबंधन NDA के 107 सदस्य हैं।