कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में अखिलेश यादव के शामिल नहीं होने के क्या मायने हैं?
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली इस यात्रा में उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस ने उन्हें और राज्य के अन्य बड़े नेताओं को इस यात्रा में शामिल होने का न्योता भेजा था। आइए जानते हैं कि अखिलेश के भारत जोड़ो यात्रा के प्रति इस रुख के क्या मायने हैं।
अखिलेश ने राहुल को निमंत्रण के लिए कहा धन्यवाद
अखिलेश यादव ने भारत जोड़ो यात्रा में निमंत्रण के लिए राहुल को धन्यवाद देते हुए एक पत्र लिखा है। अखिलेश ने अपने पत्र में लिखा, "भारत भौगोलिक विस्तार से अधिक एक भाव है, जिसमें प्रेम, अहिंसा, करूणा, सहयोग और सौहार्द ही वो सकारात्मक तत्व हैं, जो भारत को जोड़ते हैं। आशा है ये यात्रा हमारे देश की इसी समावेशी संस्कृति के संरक्षण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगी।"
क्या कांग्रेस से नाराज हैं अखिलेश?
बता दें कि अखिलेश ने पहले कहा था उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने कहा था कि उनकी भावनाएं भारत जोड़ो यात्रा के साथ हैं, लेकिन कांग्रेस और सपा का सिद्धांत अलग-अलग है, वहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही हैं। दरअसल, कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था कि सपा के पास कोई राष्ट्रीय विचारधारा नहीं है और अखिलेश उनके इस बयान से नाराज बताए जा रहे हैं।
क्या हैं अखिलेश के शामिल नहीं होने के मायने?
अखिलेश यादव ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होकर भविष्य में कांग्रेस के साथ किसी भी राजनीतिक गठजोड़ की तरफ सावधानी से कदम बढ़ाने और इसे लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित न होने का संकेत दिया है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के गठबंधन का बुरा प्रदर्शन इसकी एक मुख्य वजह है। इस चुनाव में सपा को हुए नुकसान के कारण अखिलेश की कांग्रेस से छिपी नाराजगी है।
2017 विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया था। सत्तारूढ़ सपा कुल 403 सीटों में से 311 सीटों पर लड़ी थी, जबकि कांग्रेस 103 सीटों पर लड़ी थी। हालांकि, चुनावी नतीजों के बाद सपा का आत्मविश्वास टूट गया क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 324 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि सपा-कांग्रेस को सिर्फ 47 सीटों से संतोष करना पड़ा।
अखिलेश को लेकर क्या बोले राहुल?
राहुल ने शनिवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था, "अखिलेश और मायावती मोहब्बत का हिंदुस्तान चाहते हैं, यह मैं जानता हूं। नफरत का हिंदुस्तान नहीं चाहते हैं। उनके साथ रिश्ता तो है। भारत जोड़ने और नफरत मिटाने का रिश्ता उनके साथ है।" राहुल ने आगे कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा में कोई भी आ सकता है और इसके दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले हैं जो भारत को जोड़ना चाहता है।
2024 के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं राहुल
राहुल का कहना है कि भाजपा के लिए 2024 में लोकसभा चुनाव जीतना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि पार्टी को बड़े स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि विपक्ष को चुनावों में अच्छी तरह से समन्वय करते हुए देश के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करना होगा। राहुल के अनुसार, केवल कांग्रेस विचारधारा के आधार पर केंद्रीय ढांचा प्रदान कर सकती है और वह समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।