कल होगी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की वोटिंग, क्या रहा है इसका इतिहास?
सोमवार को कांग्रेस अपना अगला अध्यक्ष चुनने के लिए वोट डालेगी। पार्टी के 137 साल के इतिहास में यह छठी बार है, जब अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी में चुनाव होने जा रहा है। इस बार सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अध्यक्ष पद की रेस में नहीं है। ऐसे में 24 साल बाद पार्टी को गैर-गांधी अध्यक्ष मिलना तय है। बुधवार को पता चल जाएगा कि मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर में से अगला अध्यक्ष कौन होगा।
अलग-अलग राज्यों में जाकर अपने लिए वोट मांग रहे खड़गे और थरूर
कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में बतौर दावेदार शशि थरूर सबसे पहले सामने आए थे। अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी दावेदारी पेश की। अब इन दोनों के बीच अध्यक्ष पद का मुकाबला होगा। दोनों ही उम्मीदवार पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग राज्यों में जाकर प्रदेश कांग्रेस इकाइयों के प्रतिनिधियों से मिलकर अपने लिए वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस के निर्वाचन मंडल में करीब 9,000 प्रतिनिधि हैं।
खड़गे का पलड़ा भारी
इस मुकाबले में खड़गे का पलड़ा भारी माना जा रहा है। उन्हें पार्टी के अनाधिकारिक 'आधिकारिक उम्मीदवार' के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, पार्टी ने कहा है कि वह किसी भी उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेगी, लेकिन कई वरिष्ठ नेता खड़गे का समर्थन कर चुके हैं। दूसरी तरफ थरूर खुद को बदलाव के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं। थरूर ने भी माना है कि उन्हें खड़गे के मुकाबले कम तरजीह मिल रही है।
आंतरिक लोकतंत्र का बखान कर रही कांग्रेस
इस चुनाव की महत्ता के बारे में बोलते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 137 सालों में पार्टी में छठी बार अध्यक्ष चुनने के लिए आंतरिक चुनाव हो रहे हैं। मीडिया 1939, 1950, 1997 और 2000 के चुनावों की बात कर रहा है, लेकिन 1977 में भी चुनाव हुए थे, जब केसु ब्रह्मनंदा रेड्डी अध्यक्ष चुने गए थे। कांग्रेस का कहना है कि दूसरी किसी भी पार्टी में इस तरह लोकतंत्र से अध्यक्ष नहीं चुने जाते।
कब-कब कौन चुना गया कांग्रेस का अध्यक्ष?
1939 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए महात्मा गांधी समर्थित पी सीतारमैय्या और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच मुकाबला हुआ था। इसमें नेताजी ने बाजी मारी थी। इसके बाद 1950 में पुरुषोतम दास टंडन और आचार्य कृपलानी ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा। इसमें सरदार पटेल के करीबी माने जाने वाले टंडन ने नेहरू समर्थित उम्मीदवार कृपलानी को हरा दिया था। 1977 में करण सिंह और सिद्धार्थ शंकर रे को हराकर केसु ब्रह्मनंदा रेड्डी अध्यक्ष चुने गए।
1997 में सीताराम केसरी बने अध्यक्ष
1977 के बाद 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ, जिसमें सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर बाजी मारी। इसके तीन साल बाद 2000 में जीतेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के सामने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 7,400 वोट मिले, जबकि प्रसाद को महज 94 वोटों से संतोष करना पड़ा। उसके बाद से आज तक गांधी परिवार के पास ही कांग्रेस की कमान रही है।
सोनिया गांधी रही हैं सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष
आगामी चुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद पार्टी को सोनिया गांधी की जगह नया अध्यक्ष मिलेगा। सोनिया गांधी 1998 के बाद से सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रही हैं। हालांकि, बीच में 2017 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी। देश की आजादी के बाद से बात करें तो करीब 40 साल तक कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के पास रहा है।