कई बीमारियों के लिए उपचार का काम कर सकती हैं ये 6 योग मुद्राएं
गलत खान-पान और बिगड़ी जीवनशैली के कारण लोगों का शरीर 1-2 नहीं, बल्कि कई बीमारियों का घर बनता जा रहा है। ऐसे में लोग तरह-तरह की दवाइयों पर आश्रित हो चुके हैं। हालांकि, अगर आप उन बीमारियों से छुटकारा चाहते हैं तो योग मुद्राओं को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। आइए आज हम आपको 6 ऐसी योग मुद्राओं के बारे में बताते हैं, जो शरीर में ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करके आपको कई बीमारियों से दूर रख सकती हैं।
ज्ञान मुद्रा
ज्ञान मुद्रा के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर दोनों हाथों को इस तरह से घुटनों पर रखें कि हथेलियां आकाश की तरफ हों। इसके बाद तर्जनी उंगली को अंगूठे की नोक से मिलाएं और बाकी की उंगलियों को सीधा रखें। अब दोनों आंखें बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 से 20 मिनट तक इस अवस्था में रहें। यह अवस्था दिमाग और इम्युनिटी के लिए बेहतरीन है।
वायु मुद्रा
यह मुद्रा वात (वायु) दोषों के कारण होने वाली समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसके लिए सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को सीधा करके घुटनों पर रखें। इस दौरान हथेलियां ऊपर की ओर हों। अब दोनों हाथों के अंगूठों को मोड़कर तर्जनी उंगलियों के ऊपर रखें। बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें। इसके बाद दोनों आंखों को बंद करें और सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
अग्नि मुद्रा
यह मुद्रा सर्दी, जुकाम, कफ, दमा, निमोनिया, थायराइड, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और अस्थमा जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करती है। इसके अभ्यास के लिए सुखासन की मुद्रा में बैठकर दोनों हाथों को सीधा करके अपने घुटनों पर रखें। इस दौरान हथेलियां ऊपर की ओर हों। अब दोनों हाथों के अंगूठों को अनामिका उंगलियों के ऊपर रखें और अन्य उंगलियां सीधी रखें। इसके बाद दोनों आंखों को बंद करके सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
पृथ्वी मुद्रा
इससे मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को ऊर्जा मिलती है। इसका पाचन क्रिया पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए किसी आरामदायक स्थिति में बैठें और सामान्य रूप से सांस लेते हुए दोनों हाथों को अपने दोनों घुटनों पर रखें। इसके बाद दोनों हाथों की अनामिका उंगलियों के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से से मिलाएं और बाकि उंगलियों को सीधा रखें। अब दोनों आंखों को बंद करें और 30 से 45 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
वरूण मुद्रा
इससे शरीर में मौजूद जल तत्व का संतुलन कायम रखने में मदद मिलती है और यह त्वचा की समस्याओं को दूर करने में सहायक है। इसे करने के लिए पद्मासन की मुद्रा में बैठकर दोनों हाथों को इस तरह से घुटनों पर रखें कि हथेलियां आकाश की तरफ हों। इसके बाद कनिष्ठ उंगली को अंगूठे की नोंक से मिलाएं। अब दोनों आंखों को बंद करके सांस पर ध्यान केंद्रित करें। रोजाना 20-25 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें।
शून्य मुद्रा
यह मुद्रा गले और कान की समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं। लाभ के लिए किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठकर आंखें बंद करें। अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अंगूठों से मध्यम उंगलियों को इस प्रकार दबाएं कि आपके उनके बीच में शून्य का आकार बनें। अब सामान्य रूप से सांस लेते रहें और कुछ देर इस मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।