विश्व पर्यावरण दिवस: जानिए इस बार की थीम और इसका इतिहास
क्या है खबर?
मानव प्रकृति को अपनी सुविधानुसार इस्तेमाल कर रहा है, जिससे पर्यावरण को धीरे-धीरे इतनी क्षति पहुंच रही है कि इससे मानव अस्तित्व भी खतरे में आ सकता है।
इस बात की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल 5 जून को 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है।
यह एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है।
आइए आज इस दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
थीम
क्या है इस बार की थीम?
विश्व पर्यावरण दिवस की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस बार 5 जून को 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के तहत प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा।
इसका कारण है कि प्लास्टिक प्रदूषण मानव नियंत्रण से परे बढ़ रहा है। ऐसे में प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करके लोगों की दिनचर्या में पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों को शामिल करने की बहुत आवश्यकता है।
अगर आप इसका सहयोग करते हैं तो प्लास्टिक की जगह इन पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को अपनाएं।
होस्ट
कौन कर रहा मेजबानी?
इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की मेजबानी कोटे डी आइवर गणराज्य द्वारा की जा रही है, जिसे पश्चिम अफ्रीका में आइवरी कोस्ट के रूप में भी जाना जाता है।
इस साल नीदरलैंड उसका सहयोगी होगा। वह प्लास्टिक प्रदूषण और समुद्री कूड़े पर ग्लोबल पार्टनरशिप का सदस्य है।
बता दें कि 1 जनवरी, 2016 से नीदरलैंड में मुफ्त प्लास्टिक बैग प्रतिबंधित हैं। इसका उद्देश्य सड़कों और समुद्री कूड़े को कम करना और संसाधनों की बर्बादी को रोकना है।
इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरूआत
5 जून, 1972 को संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था, जिसके दौरान विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का सुझाव दिया गया।
इसके 2 साल बाद यानी 5 जून, 1974 से इसे मनाना शुरू किया गया। तब से लगातार हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है।
पर्यावरणीय मुद्दों की चुनौतियों से निपटने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
प्लास्टिक
दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा प्लास्टिक प्रदूषण
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनियाभर में सालाना 40 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसका 50 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक है और सिर्फ 10 फीसदी ही रिसाइकिल हो पाता है।
अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक प्लास्टिक के संपर्क रहने से मनुष्य को प्रजनन संबंधी समस्याएं, मधुमेह, मोटापा, अस्थमा और यहां तक कि कैंसर हो सकता है।
ऐसे में बहुत जरूरी हो गया कि लोग प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने में मदद करें।