देश में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगी रोक, जानिये क्या होगा इसका असर
उद्योग संघों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध न लगाकर चरणबद्ध तरीके से लागू करने के अनुरोध के बावजूद सरकार ने शुक्रवार यानी 1 जुलाई से इसके उपयोग पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए अभियान चलाने और इसके उत्पादन, वितरण, भंडारण और बिक्री में लगी इकाइयों को बंद कराने के आदेश दिए हैं।
क्या होती है सिंगल-यूज प्लास्टिक?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सिंगल-यूज प्लास्टिक ऐसी प्लास्टिक होती है जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है। सामानों की पैकेजिंग से लेकर शैंपू, डिटर्जेंट और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की बोतलों, पॉलिथीन के बैग, फेस मास्क, कॉफी कप और कचरा बैग आदि में इस तरह की प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। दुनियाभर में जितनी प्लास्टिक बनती है, उसमें से एक-तिहाई सिंगल-यूज होती है। इसमें से 98 प्रतिशत जीवाश्मों से बनती है।
क्या है सरकार के इस आदेश के मायने?
बता दें कि पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले साल सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। भारत में प्लास्टिक उद्योग 10,000 करोड़ रुपये का है और इसके निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से लगभग 2 लाख लोग और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 4.5 लाख लोग लगे हुए हैं। सरकार के इस कदम से पर्यावरणीय स्वच्छता तो आएगी, लेकिन लाखों लोगों के रोजगार पर भी इसका असर पड़ेगा।
किन-किन उत्पादों पर लागू होगा प्रतिबंध?
केंद्र सरकार के नए नियम के अनुसार, प्लास्टिक स्टिक वाले इयरबड्स, गुब्बारों की प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाला पॉलिस्ट्रीन, प्लास्टिक कप-प्लेट समेत कटलरी का दूसरा सामान, मिठाई के डिब्बों को पैक करने में इस्तेमाल होने वाला पॉलिथीन, आमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट और 100 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक और PVC बैनर पर रोक लगाई गई है। हालांकि, गलने वाली प्लास्टिक से बनी चीजों पर पाबंदी नहीं होगी।
धीरे-धीरे इंसान के शरीर में जमा हो रही प्लास्टिक
एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल सिंगल-यूज प्लास्टिक का महज 7.5 फीसदी हिस्सा ही रिसाइकिल किया जाता है। बाकी जमीन में दब जाता है या पानी में बहकर नदियों और समुद्र में चला जाता है। हर इंसान हर हफ्ते लगभग पांच ग्राम प्लास्टिक खा रहा है।
पर्यावरण मंत्री ने कही विकल्प तलाशने की बात
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपिंदर यादव ने कहा कि सरकार FMCG उद्योग से सहयोग की उम्मीद कर रही है। वर्तमान में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) ही सिंगल यूज प्लास्टिक वाले उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं, उन्हें विकल्प बनाने के लिए स्थानांतरित करने की अपील की जाएगी।" उन्होंने आगे कहा, "हम प्लास्टिक उत्पादों का इस्तेमाल रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे। सरकार अपने निर्णय के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेगी।"
सिंगल यूज प्लास्टिक उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने क्या दी प्रतिक्रिया?
इस बीच, कुछ FMCG कंपनियों और रेस्त्रां संचालकों ने शुक्रवार को सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का पालन करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। कंपनियों और रेस्तरां मालिकों ने दावा किया कि वो प्लास्टिक के बर्तन और कंटेनरों को बदलने की जल्दी कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कहा कि विकल्प बहुत महंगे हैं। FMCG कॉरपोरेशन के अनुसार, सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध से आखिरकार तैयार वस्तुओं की लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा।