असम का मोइदाम बना यूनेस्को की विश्व धरोहर, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
असम के अहोम राजवंश की टीला दफन प्रणाली मोइदाम को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO/यूनेस्को) की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
यह निर्णय यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में लिया गया, जो वर्तमान में भारत में आयोजित किया जा रहा है।
यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा पाने वाला मोइदाम भारत का 43वां और असम का तीसरा स्थल बन गया।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिए UNESCO की पोस्ट
🔴 BREAKING!
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) July 26, 2024
New inscription on the @UNESCO #WorldHeritage List: Moidams – the Mound-Burial System of the Ahom Dynasty, #India 🇮🇳.
➡️https://t.co/FfOspAHOlX #46WHC pic.twitter.com/H3NU2AdtIq
कब्र स्थल
मोइदाम क्या है?
असम के जिले में स्थित मोइदाम शाही कब्र स्थल है। यहां ताई-अहोम राजवंश के शाही परिजनों की कब्रे हैं, जिनकी संरचना पिरामिड जैसी दिखती है।
बता दें कि चीन से पलायन करने वाले ताई-अहोम कबीले ने 12वीं से 18वीं शताब्दी ईस्वी तक ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी राजधानी स्थापित की थी, जिसमें सबसे प्रतिष्ठित स्थल चराईदेव है।
यहां पर ताई-अहोम राजवंश ने लगभग 600 साल तक असम पर शासन किया था।
जानकारी
चराईदेव में संरक्षित की गई हैं 90 शाही कब्रगाह
चराईदेव में 90 शाही कब्रगाह संरक्षित हैं और अब तक 386 मोइदाम की खोज की गई।
अहोम लोगों ने 18वीं शताब्दी के बाद हिंदू दाह संस्कार प्रथा को अपनाया और अंतिम संस्कार के अवशेषों को चराईदेव के एक मैदान में दफनाना शुरू कर दिया।
वर्तमान ने प्राचीन स्मारक और स्थल अवशेष अधिनियम 1958 और असम प्राचीन स्मारक और अभिलेख अधिनियम 1959 यह नियंत्रित करते हैं कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा मोइदाम को कैसे संभाला जाता है।
संरचना
कैसा दिखता है मोइदाम?
मोइदाम के नाम से जाने जाने वाले 2 मंजिला गुंबददार कक्षों में एक तोरण-रेखा वाला रास्ता है, जो एक दरवाजे तक जाता है।
यह टीला मिट्टी और ईटों की परतों से ढका हुआ था, लेकिन समय के साथ वहां घास उग आई और इस कारण यह पहाड़ी जैसा लगता है।
मोइदाम में एक गुंबददार कक्ष था और इसके बीच में एक ऊंचा मंच था, जहां पिरामिड की तरह शव को जमा किया गया था।
राह
मोइदाम तक कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग: मोइदाम के सबसे नजदीक डिब्रगढ़ का मोहनबाडी हवाई अड्डा है और लगभग 85 किलोमीटर दूर है।
रेलमार्ग: भोजो रेलवे स्टेशन 6.3 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि सिमलुगुरी रेलवे स्टेशन मोइदाम से 32 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क मार्ग: चराईदेव और शिवसागर शहर से मोइदाम लगभग 28 किलोमीटर दूर है, जहां से आप कार या टैक्सी से अपनी निर्धारित जगह पर पहुंच सकते हैं। वहां सार्वजनिक परिवहन की भी सुविधा है।