सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023: जानिए नेताजी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से
भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा में हुआ था। नेताजी ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ पहली भारतीय सशस्त्र सेना 'आज़ाद हिंद फौज' की स्थापना की थी। नेताजी की ऐतिहासिक उपलब्धियों और यात्रा से अपरिचित लोग भी उनके प्रसिद्ध नारों जैसे 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' या 'जय हिंद' को पहचानते हैं। आइए आज नेताजी की जयंती पर उनसे जुड़े अनसुने किस्से जानते हैं।
नेताजी के थे 14 भाई-बहन
नेताजी की परवरिश उनके 14 भाई-बहनों के साथ हुई थी और वह स्कूल में मैट्रिक की परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल करने वाले मेधावी छात्र थे। उच्च शिक्षा में उन्होंने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दर्शनशास्त्र में BA किया। उन्हें भारतीय सिविल सेवा (IAS) के लिए भी चुना गया था, लेकिन साल 1921 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि वे ब्रिटिश सरकार की सेवा नहीं करना चाहते थे।
विदेशी महिला से की थी नेताजी ने शादी
साल 1934 में नेताजी अपना इलाज कराने ऑस्ट्रिया गए थे, जहां उनकी मुलाकात एक ऑस्ट्रियन महिला एमिली शेंकल से हुई और दोनों के बीच प्यार हो गया। 1942 में नेताजी और एमिली ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली और उसी साल उनकी बेटी अनिता बोस का जन्म हुआ था। अनीता बोस अब एक प्रसिद्ध जर्मन अर्थशास्त्री हैं और वह ऑग्सबर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकी हैं।
कांग्रेस के दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे बोस
साल 1920-1930 के दशक में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कट्टरपंथी दल के नेता रहे। इसके बाद वह 1938-1939 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने की राह पर आगे बढ़ रहे थे, लेकिन ज्यादा दिन तक उनकी अध्यक्षता कायम नहीं रही। दरअसल, अंग्रेजों से लड़ने के उनके दृष्टिकोण में उनके पार्टी के साथ मतभेद थे और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की वकालत की, जबकि महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अहिंसक आंदोलन की समर्थक थी।
आजादी की लड़ाई के दौरान 11 बार जेल गए नेताजी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की अध्यक्षता से पहले नेताजी ने पत्रकारिता में कदम रखा और 'स्वराज' समाचार पत्र शुरू किया और बाद में 'फॉरवर्ड' समाचार पत्र के संपादक बने। अपनी सशक्त क्रांति के कारण नेताजी को 11 बार जेल जाना पड़ा। ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनकी कट्टरपंथी गतिविधियों ने उन्हें अक्सर कारावास की सजा दिलाई, लेकिन कभी भी वह पीछे नहीं हटे।
विमान हादसे में गई थी नेताजी की जान
सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना से गंभीर रूप से जलने और चोटों के कारण मृत्यु हो गई थी। हालांकि, अब तक उनकी मृत्यु रहस्य में डूबी हुई है क्योंकि उनके कई समर्थकों ने यह मानने से इनकार कर दिया है कि विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक, गंभीर चोटों के बावजूद वह अस्पताल पहुंचे, लेकिन कोमा में जाने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।