NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / देश की खबरें / महात्मा गांधी की हत्या से पहले क्या करता था नाथूराम गोडसे?
    अगली खबर
    महात्मा गांधी की हत्या से पहले क्या करता था नाथूराम गोडसे?

    महात्मा गांधी की हत्या से पहले क्या करता था नाथूराम गोडसे?

    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 30, 2020
    07:31 pm

    क्या है खबर?

    आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 72वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1948 में नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिरला भवन में तीन गोली मारकर गांधी की हत्या कर दी थी।

    गोडसे द्वारा गांधी की इस हत्या को दो विचारधाराओं के बीच टकराव की तरह भी पेश किया जाता है।

    लेकिन आज हम आपको इन विचारधाराओं के बारे में नहीं बल्कि गोडसे के बारे में बताएंगे।

    आइए जानते हैं कि गांधी की हत्या से पहले गोडसे क्या करता था।

    जन्म

    पुणे के ब्राह्मण परिवार में हुआ था गोडसे का जन्म

    महाराष्ट्र के पुणे के एक ब्राह्मण परिवार में 1910 में नाथूराम गोडसे का जन्म हुआ था।

    उसके परिवार को धर्म शास्त्रों का अच्छा-खासा ज्ञान था। लेकिन इसके साथ ही आधुनिक दुनिया के प्रति भी वो खुले विचार रखते थे।

    उसके पिता विनायक वामनराव गोडसे डाकघर में कर्मचारी थे। 1930 के आसपास उनकी तैनाती रत्नागिरी में हुई थी।

    गोडसे अपने पिता से मिलने रत्नागिरी आता-जाता रहता था और इसी दौरान विनायक दामोदर सावरकर से उसकी पहली मुलाकात हुई।

    वैचारिक प्रभाव

    सावरकर की बातों ने गोडसे पर छोड़ा बहुत प्रभाव

    सावरकर के विचारों और गतिविधियों ने गोडसे पर बेहद प्रभाव छोड़ा और वो उनके साथ काम करने लगा।

    1930 और 1940 के दशक में गोडसे ने हिंदू धर्म की शक्तिशाली छवि बनाने पर जोर दिया। उसने एक राइफल क्लब बनाया और इसके साथ ही एक अखबार भी चलाया।

    इस दौरान वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में भी शामिल हुआ, लेकिन बाद में इसे छोड़ दिया। RSS के साथ उसके संबंध को लेकर काफी विवाद होता रहता है।

    पत्र

    सावरकर को दिया था कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक मैदान में उतरने का सुझाव

    गोडसे, सावरकर को पूज्यनीय मानता था और उनसे मिलने जाया करता था।

    फरवरी 1938 में उसने सावरकर को एक लंबा पत्र लिखते हुए कहा कि हिंदू महासभा को राजनीतिक क्षेत्र में कांग्रेस को चुनौती देनी चाहिए।

    उसने महासभा को मजूबत बनाने के लिए उसने गैर-ब्राह्मणों और पिछड़े वर्गों को संगठन के नेतृत्व में शामिल करने और अखबारों और भाषणों के जरिए अधिक प्रचार करने का सुझाव दिया।

    प्रशंसा

    कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर नेहरू की मेहनत की प्रशंसा की

    अपने इसी पत्र में गोडसे ने हिंदू महासभा को कांग्रेस से कुछ चीजें सीखने की सलाह भी दी।

    जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा करते हुए गोडसे ने लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने बहुत मेहनत की और गांव-गांव जाकर भाषण दिए।

    सावरकर की तारीफ करते हुए गोडसे ने कहा कि वो व्यक्तिगत तौर पर लगातार मेहनत करते हैं, लेकिन इस कार्य को आवश्यक प्रचार नहीं मिल रहा है और इसलिए इसका महत्व लोगों को पता नहीं चल रहा।

    जानकारी

    1941 से 1944 के बीच सावरकर को लिखे कई पत्र

    इसके बाद 1941 से 1944 के बीच भी गोडसे ने सावरकर को कई पत्र लिखे और हिंदू सनातनी विचारधारा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की। उसने कहा कि दक्षिणपंथी हिंदू सावरकर को अपना नायक और हिंदुओं का सबसे निपुण नेता मानते हैं।

    मैगजीन

    1946 में 'अग्रणी' नाम से निकाली मैगजीन

    1946 में गोडसे ने 'अग्रणी' के नाम से एक मैगजीन निकाली और नारायण आप्टे इसमें उसका मुख्य सहयोगी बना।

    सावरकर मैगजीन के काम से खुश हुए और गोडसे को इसे चलाने के लिए 15,000 रुपये दिए जो उस जमाने में बहुत रकम हुआ करती थी।

    इस मैगजीन के लेखों में "मुस्लिम गुंडों" के "अत्याचार" के कारण हिंदुओं के खून का तालाब बहने की बात की जाती और मुस्लिम लीग के नेताओं को नादिर शाह और चंगेज खान बताया जाता था।

    निशाना

    मैगजीन पर महात्मा गांधी और नेहरू पर लगातार होते थे हमले

    मैगजीन में "हिंदुओं के हितों की रक्षा" नहीं करने के लिए महात्मा गांधी और नेहरू पर भी लगातार हमले किए जाते थे।

    गोडसे ने इन लेखों में अहिंसा और मुस्लिमों के प्रति प्रेम की बात करने के लिए गांधी की तीखी आलोचना की।

    उनसे पंजाब और बंगाल में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए भी गांधी को जिम्मेदार ठहराया।

    1942 में उसने पंचगनी में महात्मा गांधी की एक सभा में नारेबाजी भी की थी।

    गांधी से नफरत

    इस कारण गांधी के प्रति नफरत बनी जहर

    भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय पंजाब में सिखों और हिंदुओं पर अत्याचार की खबरों ने गांधी के प्रति गोडसे की नफरत को चरम पर पहुंचा दिया।

    उसके अनुसार जब भारत को पाकिस्तान से टक्कर लेनी चाहिए और हिंदुओं को मुस्लिमों को अधीन करना चाहिए, तब "'राष्ट्रपिता" शांति और सुलह का उपदेश दे रहा है।

    गांधी के इन प्रयासों ने गोडसे के मन में इतना जहर पैदा कर दिया कि उसने गांधी की हत्या करने की ठान ली।

    हत्या की साजिश

    जनवरी में बनाया गांधी की हत्या का मन

    गोडसे और उसके मुख्य साथी आप्टे ने जनवरी 1948 में गांधी की हत्या करने का मन बनाया।

    17 जनवरी को वो दिल्ली पहुंचे और कनॉट प्लेस के मरीना होटल में नकली नामों से ठहरे।

    20 जनवरी को वो कानपुर और इसके बाद मुंबई गए।

    कहा जाता है कि मुंबई में गोडसे और आप्टे सावरकर से मिले थे और सावरकर ने उन्हें सफल होने का आशीर्वाद दिया था। हालांकि, इस तथ्य को लेकर काफी विवाद भी होता है।

    हत्या

    ....और कर दी गांधी की हत्या

    30 जनवरी को आखिरकार गांधी की हत्या करने की इस खतरनाक साजिश को अंजाम दिया गया और शाम 5 बजे बिरला भवन में गोडसे ने तीन गोली मारकर गांधी की हत्या कर दी। उसे मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया।

    कोर्ट में सुनवाई के दौरान गोडसे ने कहा कि उसने कभी भी ये बात नहीं छिपाई कि वो ऐसी विचारधारा से संबंध रखता है जो गांधीजी के विरोध में है।

    सुनवाई

    कोर्ट में बोला गोडसे- गांधी की अहिंसा की सीख हिंदुओं को बना देगी नपुंसक

    कोर्ट में अपने बयान में गोडसे ने कहा था, "गांधी की अहिंसा की सीख हिंदू समुदाय को नपुंसक बना देगी और अन्य समुदायों, खासकर मुस्लिमों के आक्रमण का विरोध करने में (हिंदू) समुदाय असमर्थ रहेगा।"

    गोडसे ने हत्या की साजिश में सावरकर का कोई भी हाथ होने से साफ इनकार कर दिया और इसे अपनी बुद्धिमानी और विवेक का अपमान बताया।

    उसने दिल्ली में शरणार्थी कैंपों में घूमने के दौरान एक शरणार्थी से बंदूक खरीदने का दावा किया।

    फांसी

    15 नवंबर, 1949 को दी गई गोडसे और आप्टे को फांसी

    गांधी की हत्या के मामले में गोडसे और आप्टे के अलावा छह और लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें सावरकर और गोडसे का भाई गोपाल गोडसे भी शामिल था।

    वहीं इस समूह का नौवां सदस्य रामचंद्र बडगे सरकारी गवाह बन गया था और उसकी गवाही के बाद ही सावरकर का नाम मामले में आया था।

    कोर्ट ने गोडसे और आप्टे को फांसी की सजा सुनाई और दोनों को 15 नवंबर, 1949 को फांसी दे दी गई।

    सवाल

    क्या कोई सिरफिरा था गोडसे?

    नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे की किताब 'मैंने गांधी का वध क्यों किया?' में गोडसे के हवाले से लिखा गया है, "गांधी वध पिस्तौल हाथ में लेने और गोली मार देने जैसी सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि एक ऐतिहासिक और अपूर्व घटना थी। ऐसी घटनाएं युगों में कभी-कभी होती हैं। नहीं, युग-युग में भी नहीं! ऐसी घटनाएं नहीं हुआ करती हैं।"

    ये बात स्पष्ट करती है कि गोडसे कोई "सिरफिरा" नहीं बल्कि एक वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध व्यक्ति था।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    महात्मा गांधी
    राष्ट्रीय संघ RSS
    हिंदू महासभा
    विनायक दामोदर सावरकर

    ताज़ा खबरें

    अंकिता भंडारी हत्याकांड: वॉट्सऐप चैट ने कैसे खोले राज? कहा था- क्या 10,000 में बिक जाऊंगी?  उत्तराखंड
    हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाने वालों के लिए ट्रंप प्रशासन का नया फरमान, जानिए क्या है मामला  डोनाल्ड ट्रंप
    IPL 2025, क्वालीफायर-2: PBKS बनाम MI मुकाबले की पिच रिपोर्ट, जानिए नरेंद्र मोदी स्टेडियम के आंकड़े  IPL 2025
    भारत के 'टाइगर मैन' वाल्मीक थापर का 73 वर्ष की आयु में निधन रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

    महात्मा गांधी

    साध्वी प्रज्ञा ने गांधी के हत्यारे गोडसे को बताया देशभक्त, कहा- देशभक्त थे और देशभक्त रहेंगे मध्य प्रदेश
    गोडसे को देशभक्त बताने पर साध्वी प्रज्ञा ने मांगी माफी, कहा- गांधी का सम्मान करती हूं भारतीय जनता पार्टी
    गोडसे को लेकर विवादित बयानों पर सख्त अमित शाह, तीन भाजपा नेताओं से मांगा जवाब भारतीय जनता पार्टी
    साध्वी प्रज्ञा के बयान से नाराज प्रधानमंत्री मोदी, कहा- उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा भोपाल

    राष्ट्रीय संघ RSS

    संघ के निशाने पर सरकार, राम मंदिर से लेकर सैनिकों की शहादत तक पर घेरा राम मंदिर
    नितिन गडकरी का फिर विवादित बयान, कहा- जो घर नहीं संभाल सकता वो देश क्या संभालेगा भारतीय जनता पार्टी
    मध्य प्रदेश: कांग्रेस सरकार ने RSS कार्यालय से हटाई सुरक्षा, दिग्विजय सिंह ने किया विरोध भारतीय जनता पार्टी
    नागपुर: RSS के गढ़ से राहुल गांधी की हुंकार, चुनाव बाद जेल जाएगा 'चौकीदार' नरेंद्र मोदी

    हिंदू महासभा

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतले को गोली मारने के मामले में मुख्य आरोपी गिरफ्तार दिल्ली
    मध्यस्थता के जरिए कोर्ट के बाहर अयोध्या विवाद सुलझाने पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम
    अयोध्या: समझौते को तैयार कुछ पार्टियां, पांच शर्तों पर विवादित जमीन पर राम मंदिर पर सहमति मुस्लिम
    अयोध्या विवाद: छह मुस्लिम याचिकाकर्ताओं का मध्यस्थता समिति पर सुन्नी वक्फ बोर्ड से मिलीभगत का आरोप मुस्लिम

    विनायक दामोदर सावरकर

    भारत में विनायक दामोदर सावरकर इतनी विवादास्पद शख्सियत क्यों हैं? भारत की खबरें
    मध्य प्रदेश: स्कूल के छात्रों को सावरकर की तस्वीर वाली नोटबुक बांटने के लिए प्रधानाचार्य निलंबित मध्य प्रदेश
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025