#BirthdaySpecial: सुभाष चंद्र बोस को था इस चीज़ से प्रेम, जन्मदिन पर जानें कुछ ख़ास बातें
क्या है खबर?
'आज़ाद हिंद फ़ौज' के संस्थापक और अंग्रेज़ों से देश को मुक्त कराने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आज जन्मदिन हैं।
नेताजी का पहला प्रेम आज़ादी थी, लेकिन इनके दूसरे प्रेम के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
आपको बता दें कि नेताजी को किसी और चीज़ से नहीं बल्कि कारों से ख़ूब लगाव था।
आज नेताजी के जन्मदिन के मौक़े पर हम आपको कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।
जानकारी
कार ने कई बार बचाई थी नेताजी की जान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेताजी को कारों से प्रेम था और इनकी पसंदीदा कार आज देश की धरोहर के रूप में संजोकर रखी गई है। इस कार ने कई बार नेताजी की जान भी बचाई थी।
शुरुआत
गांधी जी की सलाह पर शामिल हुए स्वतंत्रता संग्राम में
'तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा' का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था।
कटक से ही अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाख़िला लिया। यहाँ से वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने चले गए।
20 जुलाई, 1921 में नेताजी, गांधी जी से मिले। इन्ही की सलाह पर नेताजी स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे।
समाज सेवा
सामाजिक कार्यों से हमेशा जुड़े रहते थे नेताजी
आज़ादी के साथ-साथ ही नेताजी सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे। बंगाल में आई भयानक बाढ़ के दौरान इन्होंने लोगों को भोजन, वस्त्र पहुँचाने का काम किया।
समाज सेवा नियमित रूप से चलती रहे, इसके लिए इन्होंने 'युवक-दल' की स्थापना की। 1933 से 1936 तक ये यूरोप में रहे और यहीं से अपना कार्य जारी रखा।
यहीं पर नेताजी इटली के नेता मुसोलिनी से मिले। मुसोलिनी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मदद का वचन भी दिया।
कारावास
नेताजी को कई बार जाना पड़ा था जेल
नेताजी को जीवन में कुल 11 बार कारावास की सज़ा भी दी गई। पहली बार इन्हें 16 जुलाई, 1921 को छह महीने की सज़ा दी गई थी।
1941 में एक मुक़दमें के सिलसिले में इन्हें कलकत्ता की एक अदालत में पेश होना था। अदालत में पेश न होकर उन्होंने घर छोड़ दिया और जर्मनी चले गए।
जर्मनी में इन्होंने हिटलर से मुलाक़ात की। यही पर इन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत से लोहा लेने के लिए 'आज़ाद हिंद फ़ौज' की स्थापना की थी।
निजी जीवन
एमिली से 1942 में की थी शादी
सन 1934 में जब नेताजी ऑस्ट्रिया में ठहरे हुए थे, तब इन्हें एक अंग्रेज़ी टाइपिस्ट की ज़रूरत हुई। एक मित्र ने एमिली शेंकल से नेताजी की मुलाक़ात करवाई।
दोनों एक-दूसरे के प्रेम में पड़ गए। नेताजी ने एमिली से 1942 में शादी कर ली। जब एमिली ने बेटी को जन्म दिया, तब नेताजी वहाँ नहीं थे।
आने के बाद जब इन्होंने बेटी को पहली बार देखा तो वो चार सप्ताह की थी। नेताजी ने बेटी का नाम अनिता बोस रखा।
मौत
आज भी बरक़रार है नेताजी की मौत का रहस्य
18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज़ से मंचूरिया जा रहे थे। इस सफ़र के दौरान उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसी दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।
नेताजी की मौत, भारत के इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य है। एक RTI के जवाब में भारत सरकार ने कहा था कि इनकी मौत विमान हादसे में हुई थी।
हालाँकि, आज भी उनकी मौत का रहस्य बरक़रार है और आए दिन इसपर बहस होती रहती है।