क्लस्टर सिरदर्द के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
क्लस्टर सिरदर्द एक दुर्लभ सिरदर्द है, जो काफी दर्दनाक होता है और महिलाओं की तुलना में इससे पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं। वहीं, आमतौर पर यह सिरदर्द 15 मिनट से तीन घंटे तक रोजाना एक हफ्ते तक या महीनों तक रह सकता है। वैसे इससे राहत दिलाने में प्राणायाम सहायक हो सकते हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो क्लस्टर सिरदर्द के जोखिम कम करने में काफी मदद कर सकते हैं।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए इस सांस को छोड़ें। कुछ मिनट तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें। अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठें। अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें, फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें। इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलकर प्राणायाम को छोड़े।
चंद्रभेदी प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें। अब अपने बाएं हाथ को ज्ञान मुद्रा में बाएं घुटने पर रखें और दाएं हाथ के उंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद करें। इसके बाद नाक के बाएं छेद से लंबी सांस भरकर उंगुलियों से नाक के बाएं छेद को बंद करें। अब अपनी क्षमतानुसार सांस को अंदर ही रोकें, फिर धीरे-धीरे नाक के दाएं छेद से सांस छोड़े। ऐसा कुछ मिनट करने के बाद प्राणायाम छोड़ दें।