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क्लस्टर सिरदर्द के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
कलस्टर सिरदर्द से राहत दिलाने वाले योगासन

क्लस्टर सिरदर्द के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Apr 05, 2022
09:02 pm

क्या है खबर?

क्लस्टर सिरदर्द एक दुर्लभ सिरदर्द है, जो माइग्रेन की तुलना में अधिक दर्दनाक होता है और महिलाओं की तुलना में इससे पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं। अगर किसी को यह सिरदर्द होता है तो उसको आंखों के चारों और तीखा दर्द महसूस होता है और ऐसा नींद के समय ज्यादा होता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो क्लस्टर सिरदर्द के जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं।

#1

सुप्त बद्धकोणासन

सुप्त बद्धकोणासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और फिर अपने दोनों हाथों और पैरों को अपनी क्षमतानुसार फैला लें। अब पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने दोनों तलवों को आपस में मिला लें। इस दौरान अपनी दोनों आंखों को बंद करके सामान्य गति से सांस लेते रहें। कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें। आप चाहें तो अपनी पीठ के नीचे सपोर्ट के लिए कोई मुलायम तकिया भी रख सकते हैं।

#2

गोमुखासन

सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठकर अपने दाएं पैर को मोड़ें और इसे बाईं जांघ के ऊपर से ले जाते हुए बाएं नितंब के पास जमीन पर रख लें। इसी तरह अपने बाएं पैर को मोड़ते हुए दाईं जंघा के नीचे से दाए नितंब के पास जमीन पर रख लें। अब अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए उन्हें पीठ के पीछे आपस में पकड़ने का प्रयास करें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहें।

#3

विपरीतकरणी आसन

सबसे पहले योगा मैट पर सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाकर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर ही होने चाहिए। इसके बाद अपने हाथों से सहारा देते हुए अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।

#4

बालासन

बालासन के अभ्यास के लिए योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं और गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। फिर सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं और सामान्य हो जाएं।