पश्चिम नमस्कार: स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
ऐसे कई रोग हैं जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर खत्म कर देते हैं। योग को अपनाकर शरीर को इस तरह के कई तरह के रोगों की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
योग में कई तरह के आसन होते हैं और आज हम आपको पश्चिम नमस्कार के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इसकी अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं।
चलिए फिर जानते हैं।
अभ्यास
पश्चिम नमस्कार करने का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन या फिर पद्मासन की स्थिति में बैठें।
अब सामान्य गति से सांस लेते और छोड़ते हुए और अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए उन्हें पीठ के पीछे आपस में नमस्कार मुद्रा में जोड़ें और फिर इस अवस्था में आने के बाद आंखों को बंद करके 20 से 30 सेकेंड तक रूकें।
इसके बाद आंखों को धीरे-धीरे खोलते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर इस योगासन का अभ्यास करते समय हाथ की कोहनियों या घुटनों में दर्द होता है तो ऐसे में इस योगासन का अभ्यास न करें।
मांसपेशियों में दर्द महसूस होने पर भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचें।
अगर आपको रीढ़ की हड्डी से संबंधित कोई समस्या है तो भी आपको इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं डॉक्टरी सलाह के बाद ही इस आसन का अभ्यास करें।
फायदे
रोजाना पश्चिम नमस्कार का अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
इस आसन का अभ्यास करने से पेट, पीठ, पैर और बांहों की मांसपेशियों में मजबूती आती है।
इस आसन से शरीर के लचीलेपन को भी बढ़ावा मिलता है और हृदय जोखिमों से दूरी बनी रहती है।
इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है।
यह आसन श्वसन प्रक्रिया के लिए भी लाभदायक है।
यह आसन दिमाग को शांत और तनाव से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।
टिप्स
आसन से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और तभी इसका अभ्यास करें।
बेहतर होगा कि आप इसका अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।
इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींचें क्योंकि इससे चोट लग सकती है।
अभ्यास के दौरान शरीर में किसी तरह की असुविधा होने पर आसन का अभ्यास तुरंत छोड़ दें।