लाल बहादुर शास्त्री पुण्यतिथि: जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और प्रेरक बातें
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 57वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता रहे शास्त्री का नारा 'जय जवान, जय किसान' उनकी भारत के प्रति सच्ची भावना को दर्शाता है और पीढ़ियों से भारतीयों को प्रेरित करता आ रहा है। शास्त्री के सार्वजनिक जीवन ने देश पर अमिट छाप छोड़ी है। आइए आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आपके साथ उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा करते हैं।
आजादी के आंदोलन में आगे रहे थे शास्त्री
शास्त्री महात्मा गांधी को अपना प्रेरक मानते थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब शास्त्री महज 16 साल के थे, तब वो महात्मा गांधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। यही नहीं, उन्होंने देश को आजादी दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लगभग सात साल तक अंग्रेजों की जेलों में बंद रहे थे। इससे साफ है कि वह आजादी की लड़ाई में कभी पीछे नहीं हटे।
कई मंत्रालयों का कार्यभार एक साथ संभालते थे शास्त्री
साल 1946 में शास्त्री को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया और साल 1951 में वह नई दिल्ली आ गए थे। वहां उन्होंने संचार, वाणिज्य और उद्योग मंत्री के साथ-साथ रेल और परिवहन सहित कैबिनेट में कई पदों पर काम किया। रेलमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान एक रेल दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद वह काफी हताश हो गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
शास्त्री ने किया था हरित और श्वेत क्रांति का आगाज
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने और उन्होंने देश में खाद्य और दुग्ध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए हरित और श्वेत क्रांति का आगाज किया। श्वेत क्रांति के लिए शास्त्री ने गुजरात के आणंद में अमूल दुग्ध सहकारी समिति का समर्थन किया और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाया। हरित क्रांति से कई राज्यों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश, में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई।
पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय शास्त्री ने दिया नारा
साल 1965 में जब भारत-पाक युद्ध के दौरान देश में भोजन की कमी हो गई तो शास्त्री ने इस दौरान सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया। इसके साथ ही अपना वेतन लेना भी बंद कर दिया। प्रधानमंत्री के रूप में शास्त्री का कार्यकाल केवल 19 महीने का रहा और 11 जनवरी, 1966 को USSR के ताशकंद में उनका निधन हो गया। पाकिस्तान के साथ समझौते के बाद उनका निधन हुआ था।
लोन पर खरीदी थी कार
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री ने बिल्कुल आम लोगों की तरह पंजाब नेशनल बैंक से लोन लेकर कार खरीदी। हालांकि, शास्त्री कार का लोन चुका पाते उसके एक साल पहले ही उनका निधन हो गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गांधी ने लोन माफ करने की पेशकश की। हालांकि, शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री ने उसे अस्वीकारते हुए खुद ही कार की EMI भरी। शास्त्री की कार अब भी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में रखी हुई है।
लाल बहादुर शास्त्री द्वारा कही गईं प्रेरक बातें
शास्त्री ने कहा था, "सच्चा लोकतंत्र या जनता का स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों के माध्यम से नहीं आ सकता है। इसका सीधा सा कारण यह है कि उनके उपयोग का स्वाभाविक परिणाम प्रतिपक्षी के दमन या विनाश के माध्यम से सभी विरोधों को हटाना होगा।" उन्होंने कहा था, "हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि किस रास्ते पर जाना है।"