
#LalBahadurShastri: लाल बहादुर शास्त्री की मौत का आँखों देखा हाल, जानें मौत की रात का सच
क्या है खबर?
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किसी पहचान की ज़रूरत नहीं है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय में हुआ था।
जवाहर लाल नेहरु की 27 मई, 1964 को मृत्यु के बाद साफ़-सुथरी छवि होने की वजह से शास्त्री को 9 जून, 1964 को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया।
लगभग 18 महीने प्रधानमंत्री रहे शास्त्री की ताशकंद समझौते के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
आइए जानें घटना से जुड़ी कुछ बातें।
जानकारी
'जय जवान, जय किसान'
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1965 में जब भारत और पाकिस्तान की बीच युद्ध हो रहा था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा देकर सैनिकों और किसानों को प्रेरित किया था।
भारत-पाकिस्तान शांति समझौता
दोनों देशों की सीमाओं से दूर रूस में हुई बातचीत
साल 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हो रहा था। दोनों देशों के बीच युद्ध ख़त्म होने के कुछ दिन बाद नए साल 1966 में संबंध सुधारने के लिए बातचीत की रूपरेखा तैयार की गई।
इसके लिए एक ऐसी जगह तय की गई, जो दोनों देशों की सीमाओं से हटकर रूस में थी।
सोवियत रूस के अंतर्गत आने वाले 'ताशकंद' में 10 जनवरी, 1966 को भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच बातचीत तय हुई।
मौत
हृदय गति रुकने से हुई लाल बहादुर शास्त्री की मौत
ताशकंद की उस कड़ाके की ठंड में भारतीय प्रतिनिधिमंडल को ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
शास्त्री और अयूब खान तय समय पर मिले। लंबी बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच शांति समझौता हो गया।
उस रात पाकिस्तान और भारत के प्रतिनिधि काफ़ी ख़ुश थे, लेकिन किसे पता था कि भारत के लिए यह रात भारी होने वाली है।
10-11 जनवरी, 1966 की रात को लाल बहादुर शास्त्री की हृदय गति रुकने से मौत हो गई।
घटना
कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में किया घटना का ज़िक्र
भारतीय प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने इस घटना का ज़िक्र अपनी किताब 'बियॉन्ड द लाइंस' में किया है।
उन्होंने लिखा है, 'आधी रात के बाद अचानक मेरे कमरे की घंटी बजी। दरवाज़े पर एक महिला खड़ी थी। उसने बताया कि प्रधानमंत्री की हालत गंभीर है। मैं भागते हुए उनके कमरे में पहुँचा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कमरे में खड़े एक व्यक्ति ने इशारे से बताया कि उनकी मौत हो चुकी है।'
रहस्य
शास्त्री की मौत के पीछे साज़िश?
समझौते के तुरंत बाद विदेशी धरती पर भारतीय प्रधानमंत्री की मौत से पूरे देश में सन्नाटा छा गया था।
लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद, इसके पीछे साज़िश की बात भी कही गई।
रहस्य उस समय और गहरा गया, जब शास्त्री के निजी चिकित्सक आर एन चुग और घरेलू सहायक राम नाथ की सड़क दुर्घटनाओं में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
जानकारी
राज्यसभा के पास भी नहीं है जाँच रिपोर्ट की कॉपी
सरकार ने 1977 में मौत की जाँच के लिए नारायण समिति का गठन किया। समिति ने अपने स्तर पर जाँच की, लेकिन इतने सालों बाद भी रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है। राज्यसभा के पास भी इस समिति की रिपोर्ट की कोई कॉपी नहीं है।