कृत्रिम खाद्य रंगों का इस्तेमाल है खतरनाक, जानिए इसके नुकसान
क्या है खबर?
कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में पूरे राज्य में किसी भी तरह के व्यंजनों में कृत्रिम खाद्य रंगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है क्योंकि कई कबाब के नमूनों में पाए गए कृत्रिम रंग जैसे सनसेट येलो और कारमोइसिन आदि का सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आइए जानते हैं कि कृत्रिम खाद्य रंगों से कौन-सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जुड़ी हैं।
प्रतिबंध
मीडिया रिपोर्टों और जनता की शिकायत के बाद कृत्रिम खाद्य रंगों पर लगाया गया प्रतिबंध
स्वास्थ्य विभाग का यह आदेश मीडिया की विभिन्न रिपोर्टों और जनता की शिकायतों के बाद आया है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने जांच की तो उन्हें कई कबाब के नमूनों में हानिकारक कृत्रिम खाद्य रंग मिले।
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 समेत खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम 2011 के अनुसार, कृत्रिम खाद्य रंगों को स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बताते हुए प्रतिबंध लगाया।
अगर कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसे कड़ा दंड मिलेगा।
जानकारी
कृत्रिम खाद्य रंग क्या हैं और इनका शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
कृत्रिम खाद्य रंगों को सिंथेटिक रंग भी कहा जाता है, जिनका इस्तेमाल विभिन्न कंपनियों और निर्माताओं द्वारा अपने ब्रांड की खान-पान की चीजों में किया जाता आ रहा है।
बता दें कि चॉकलेट बार से लेकर केक और विभिन्न प्रकार की सॉस आदि में तरह-तरह के कृत्रिम रंगों को मिलाया जाता है।
हालांकि, ये रंग बेंजिडाइन, 4-एमिनोबिफेनिल और 4-एमिनोएजोबेंजीन जैसे हानिकारक तत्वों से बने होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
रंग
खान-पान की चीजों किन-किन कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल किया जाता है?
रेड 40 का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले रंग है, जिसे एल्यूर रेड या INS 129 के नाम से जाना जाता है।
पीले रंग के लिए INS 102 का इस्तेमाल होता है, जबकि नीले के लिए ब्लू 1 को मिलाया जाता है और इसे INS 133 भी कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त ब्लू 2 भी होता है, जिसे इंडिगो कारमाइन या INS 132 कहा जाता है।
एक ग्रीन 3 रंग भी होता है, जिसे INS 143 कहा जाता है।
नुकसान
कृत्रिम खाद्य रंगों के दुष्प्रभाव
कृत्रिम खाद्य रंगों को व्यवहारिक और कॉग्निटिव समस्याओं से जोड़ा जाता है। इसके लंबे या अधिक इस्तेमाल के कारण सिरदर्द, माइग्रेन, चिड़चिड़ापन, चिंता और अनिद्रा जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।
यही नहीं, ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जो बताते हैं कि कृत्रिम खाद्य रंग कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
कृत्रिम खाद्य रंगों के अधिक इस्तेमाल से इंसुलिन रजिस्टेंस का स्तर भी बढ़ने लगता है, जो मधुमेह होने का मुख्य कारण है।