कब है गणेश चतुर्थी? जानिए सही तारीख और अन्य महत्वपूर्ण बातें
गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है, जो पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के नाम से जाने जाना वाला यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा है। हालांकि, पिछले गए त्योहारों की तरह गणेश चतुर्थी की तारीख को लेकर भी उलझन बनी हुई है कि यह 18 सितंबर को है या 19 को। आइए आज त्योहार की सही तिथि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
गणेश चतुर्थी कब है?
हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म अगस्त या सितंबर के ग्रेगोरियन महीने में हुआ था, जो हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष से मेल खाता है। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और 28 सितंबर को 10वें दिन गणेश विसर्जन होगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार घर में भगवान गणेश का स्वागत करने का शुभ समय 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगा और 19 सितंबर को दोपहर 01:43 बजे समाप्त होगा।
गणेश चतुर्थी का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने क्रोधित होकर भगवान गणेश का सिर काट दिया था। उसके बाद उन्होंने दुखी मां पार्वती को सांत्वना देने के लिए कटे सिर के स्थान पर हाथी का सिर लगा दिया था। इसलिए भगवान गणेश को हमेशा हाथी के सिर, मांसल धड़ और 4 भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है। भगवान गणेश को नई शुरुआत के देवता, बाधाओं को दूर करने वाले, ज्ञान और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है।
यह त्योहार क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
यह त्योहार सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि पूरे भारत और विदेशों से भक्त भगवान गणेश की पूजा करके सफलता और बाधाओं को दूर करने के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। गणेश चतुर्थी सामुदायिक बंधन, आध्यात्मिक भक्ति और उज्जवल भविष्य के लिए आशा की एक नई भावना को बढ़ावा देती है। भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा राज्यों में गणेशोत्सव मनाया जाता है।
गणेशोत्सव मनाने का तरीका
त्योहार की शुरुआत भगवान गणेश की प्रतिमा घर में लाने के साथ शुरू होती है। उसके बाद लोग अपने तरीके से सारे अनुष्ठान पूरे करते हैं। इसके अतिरिक्त मोदक और एक मीठी पकौड़ी को भगवान के आगे प्रसाद के रूप चढ़ाया जाता है। त्योहार के अंत में प्रतिमा के विशाल जुलूस को ढोल, भक्ति गीत और नृत्य के साथ पास की नदियों में ले जाया जाता है। एक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में उन्हें विसर्जित किया जाता है।