
दिमाग और आंत का संबंध: जानिए इसके काम करने का तरीका
क्या है खबर?
मानव शरीर में विभिन्न अंग एक-दूसरे से आकर्षक तरीके से संपर्क करते हैं। दिमाग और आंत के बीच का संबंध भी ऐसा ही एक रिश्ता है।
यह बंधन मानसिक स्वास्थ्य और पाचन रोगों दोनों पर गहरा प्रभाव डालता है। हाल के वर्षों में शोधकर्ताओं ने मन-आंत के संबंध के बारे में कई खोजें की हैं, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों के उपचार के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
आइए जानते हैं कि यह संबंध कैसे काम करता है।
तरीका
दिमाग-आंत का संबंध कैसे काम करता है?
इस संबंध में विभिन्न शारीरिक प्रणालियों के बीच एक जटिल परस्पर क्रिया शामिल होती है।
इनमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र, एंटरिक तंत्रिका तंत्र और हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) शामिल होते हैं।
ये सभी चीजें मिलकर भूख, पाचन, प्रतिरक्षा प्रणाली गतिविधि, आंतों की प्रक्रिया और तनाव प्रतिक्रिया जैसे आवश्यक कार्यों को नियंत्रित करती हैं।
यह संबंध भावनाओं और विचार की दिशाओं में भी काम करता है और पाचन समस्याओं के समाधान के लिए इस द्विदिश संबंध को पहचानना महत्वपूर्ण है।
समस्याएं
पेट की समस्याएं दिमाग को करती हैं प्रभावित
विशेषज्ञों के मुताबिक, गट-ब्रेन एक्सिस आंतों को दिमाग से जोड़ती है और इसका असंतुलन पेट में खराबी का कारण बन सकता है।
इससे एंग्जाइटी, तनाव, चिंता, गुस्सा, बहुत अधिक उत्साह जैसी समस्या होने लगती है।
यहीं वजह होती है कि यदि कोई व्यक्ति पेट की परेशानी से जूझ रहा है तो उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इसी तरह से मानसिक समस्याओं का प्रभाव पेट पर भी पड़ता है।
आंत और दिमाग
आंत और दिमाग को स्वस्थ रखने के तरीके
आंत और दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए पानी बहुत जरूरी है।
इसके लिए रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने समेत नारियल पानी का सेवन करें।
इसके अतिरिक्त बाहरी खाने के सेवन से बचें क्योंकि ये आंत में हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ा सकते हैं। बस घर में बने व्यंजनों का सेवन करें।
रोजाना कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें। आप चाहें तो इसके लिए कार्डियो को चुन सकते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
पेट और दिमाग का संबंध बिगड़ जाने से होने वाली समस्याएं
आमतौर पर आंत और दिमाग के बीच का संबंध व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तालमेल को दर्शाता है।
अगर किसी के पेट और दिमाग का संबंध बिगड़ जाए तो इसकी वजह से ऑटिज्म, डिप्रेशन, सिरदर्द, स्कजोफ्रेनिया और पैनिक अटैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हालांकि, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन, भरपूर नींद और सक्रिय जीवनशैली के जरिए इन समस्याओं से सुरक्षित रहने में मदद मिल सकती है।