पाचन को दुरुस्त रखने में सहायक हो सकते हैं ये आयुर्वेदिक उपाय

आयुर्वेद में शरीर को तीन मुख्य तत्वों में बांटा गया है, जिन्हें वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है और शरीर की समस्याओं को इनके असंतुलन का कारण माना जाता है। पाचन संबंधी समस्याएं वात दोष के असंतुलन का लक्षण है, लेकिन आपको इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप पाचन संबंधी समस्याओं से राहत पा सकते हैं।
हल्का गर्म और पका हुआ भोजन खाएं
वात दोष के असंतुलन से शरीर में होने वाली पाचन परेशानियों को कम करने के लिए आपको हल्का गर्म और पका हुआ भोजन खाना चाहिए, जो पचाने में आसान होता है। दरअसल, ठंडा और सूखा भोजन वात दोष पर बुरा प्रभाव डालता है इसलिए हल्का गर्म भोजन का सेवन वात दोष के लिए लाभदायक हो सकता है और इस वजह से पाचन संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है।
नियमित तौर पर करें आयुर्वेदिक चाय का सेवन
आयुर्वेदिक चाय का सेवन भी वात दोष के असंतुलन के कारण आई पाचन संबंधी समस्याओं से राहत देने में मदद कर सकता है। आयुर्वेदिक चाय बनाने के लिए आप आधा चम्मच धनिये के बीज, आधा चम्मच जीरा और आधा चम्मच सौंफ के बीज को लें और आवश्यकतानुसार पानी में तीनों चीजों को डालकर 15 मिनट के लिए उबाल लें, फिर इस चाय को छानकर पीएं। इस चाय को आप पूरे दिन में दो बार पीएं।
च्यवनप्राश का सेवन भी है लाभदायक
आयुर्वेद के अनुसार च्यवनप्राश का सेवन शरीर के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। च्यवनप्राश एक जैम की तरह दिखने वाला गहरे रंग का पेस्ट होता है, जिसको तैयार करने के लिए कई पोषक तत्वों से समृद्ध जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि च्यवनप्राश का सेवन पाचन संबंधी सभी समस्याओं को दूर करने के लिए विशेष रूप से फायदा पहुंचा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार इन खाद्य पदार्थों से बना लेनी चाहिए दूरी
आयर्वेद के अनुसार जिस तरह से ज्यादा मीठे का सेवन स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। ठीक उसी प्रकार से ज्यादा मसालेदार, तली-भुनी और ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन भी स्वास्थ्य के लिहाज से उचित नहीं है। इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन क्रिया को प्रभावित करता है जिसके कारण कई पेट संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस तरह के खाद्य पदार्थों से थोड़ी दूरी बना लें।