दंडासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें
क्या है खबर?
दंडासन दो शब्दों (दंड और आसन) के मेल से बना है। इसमें दंड का अर्थ छड़ी और आसन का मतलब मुद्रा है।
दंडासन एक सरल बैठने वाला आसन है और इसके अभ्यास के दौरान व्यक्ति को अपनी रीढ़ को सीधा रखना होता है।
अगर आप रोजाना इस योगासन का अभ्यास करते हैं तो आपको ढेरो स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिल सकते हैं।
आइए आज आपको इस योगासन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं।
अभ्यास
दंडासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर अपने दोनों पैरों को फैलाएं और दोनों को पास-पास रखें।
अब अपने दोनों हाथों को सीधे करें और हथेलियों को जमीन पर रखें। इस दौरान हाथ दोनों कूल्हों के पास में रहने चाहिए।
इसके बाद अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखते हुए सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
इस आसन को कम से कम एक से दो मिनट तक या अपनी क्षमतानुसार करें और फिर धीरे-धीरे आसन छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर यह आसन न करें।
इस आसन के अभ्यास के दौरान पैरों को उतना ही फैलाएं, जितना आप आसानी से फैला सकें क्योंकि शारीरिक क्षमता से अधिक बल डालने के कारण पैरों में दर्द हो सकता है।
हाथों में दर्द और कंधे में कोई समस्या होने पर इस आसन का अभ्यास करने से बचें।
अगर इस योगासन का अभ्यास करते समय किसी भी अंग में दर्द महसूस हो तो तुरंत अभ्यास छोड़ दें।
फायदे
दंडासन का रोजाना अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
इस आसन का अभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए बहुत लाभदायक है।
इस आसन के नियमित अभ्यास से पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
यह आसन आपके कंधों में एक खिंचाव पैदा करता है जो दर्द को कम करता है।
यह आसन दिमाग को शांत करने में भी मदद करता है।
इस आसन का पाचन तंत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शरीर को आराम देने और शारीरिक पॉश्चर को सुधारने में भी यह योगासन अहम भूमिका अदा करता है।
टिप्स
अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
दंडासन के दौरान शरीर को एकदम सीधा रखें और किसी भी तरह का मूवमेंट न करें। ऐसा करने से इस योगासन का शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इसके अलावा इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींचे क्योंकि जबरदस्ती करने से चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।
शोरगुल वाली जगहों पर दंडासन न करें। ऐसी जगहों पर इस योगासन का अभ्यास करना व्यर्थ है।