कॉफी के यौगिक टाइप 2 मधुमेह से लड़ने में कर सकते हैं मदद, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
ज्यादातर लोग दिन कि शुरुआत करने या शाम की थकान मिटाने के लिए कॉफी पीना पसंद करते हैं। इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें मूड बेहतर होना, ऊर्जा बढ़ना और हृदय रोग का जोखिम कम होना शामिल है। सीमित मात्रा में कॉफी का सेवन करने से टाइप 2 मधुमेह के इलाज में भी मदद मिल सकती है। इस दावे को साबित करने के लिए एक नया अध्ययन किया गया है, जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हैं।
अध्ययन
T2DM पर कॉफी के प्रभाव को जांचने के लिए किया अध्ययन
इस अध्ययन को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज में प्रकाशित किया गया था। इसके जरिए शोधकर्ताओं ने टाइप 2 मधुमेह मेलिटस (T2DM) पर कॉफी और उसके मेटाबोलाइट्स के प्रभावों को जांचने की कोशिश की। T2DM वर्तमान में एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन गया है। यह तब होता है जब शरीर रक्त शर्करा के स्तर को सही तरीके से प्रबंधित नहीं कर पाता है। अध्ययन के मुताबिक, कॉफी के कुछ यौगिक इस बीमारी से लड़ने में मददगार हो सकते हैं।
प्रक्रिया
149 प्रकाशनों से डाटा जमा कर पूरा हुआ अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को पूरा करने के लिए लगभग 149 प्रकाशनों से डाटा इखट्टा किया। शोध के दौरान 5 विशेष बिंदुओं पर चर्चा की गई, जिनमें महामारी विज्ञान, नैदानिक परीक्षण, तंत्र, फार्माकोकाइनेटिक्स और जैवउपलब्धता और अनुसंधान अंतराल शामिल थे। समीक्षा के लिए नमूनों की संख्या, उपयोग की जाने वाली कॉफी के प्रकार, उनकी गुणवत्ता और पॉलीफेनोल सामग्री का मूल्यांकन भी किया गया था, ताकि सटीक नतीजे सामने आ सकें।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
महामारी विज्ञान संबंधी साक्ष्यों से सामने आया कि रोजाना 3-5 कप कॉफी पीने से भविष्य में T2DM होने का जोखिम 20-30 प्रतिशत कम हो जाता है। इससे ग्लूकोज असंतुलन के खिलाफ कॉफी के सुरक्षात्मक प्रभावों का पता चलता है। कैफीन युक्त और बिना कैफीन वाली कॉफी, दोनों के T2DM के खिलाफ समान फायदे सामने आए। इससे साबित होता है कि इस पेय के पॉलीफेनोल T2DM के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
परिणाम
सभी प्रकार के परीक्षण के रहे अलग-अलग नतीजे
नैदानिक अध्ययनों से पता चला कि क्लोरोजेनिक एसिड से लैस कॉफी खान-पान के बाद ग्लूकोज के स्तर में 6.9 प्रतिशत तक सुधार करती है और उपवास के दौरान इंसुलिन के स्तर को कम करती है। यांत्रिक अध्ययन बताते हैं कि क्लोरोजेनिक एसिड जैसे पॉलीफेनॉल कार्बोहाइड्रेट और पाचन वाले एंजाइम को रोकते हैं और मांसपेशियों व लिवर में ग्लूकोज अवशोषण को बढ़ाते हैं। वहीं, कोशिका मॉडलों ने इंसुलिन रिसेप्टर संवेदनशीलता पर फेरुलिक और कैफिक एसिड के लाभकारी प्रभावों को प्रदर्शित किया।
कमियां
अभी और अध्ययन की है जरूरत- शोधकर्ता
अध्ययन के नतीजों से पता चलता है कि कॉफी के पॉलीफेनॉल्स में रक्त शर्करा-संशोधक प्रभाव होते हैं। इनमें सूजन को कम करना, इंसुलिन संवेदनशीलता में वृद्धि लाना, एंटीऑक्सीडेंट गुण और बेहतर ग्लूकोज चयापचय शामिल हैं। शोध से साबित होता है कि कॉफी का सेवन T2DM के इलाज में सहायक होता है। हालांकि, फिलहाल इस विषय पर और अध्ययन करने की जरूरत है, क्योंकि इस शोध में कई कमियां भी सामने आई हैं।