क्या आप भी सोचती हैं आपका प्रिंस चार्मिंग आपको बचाएगा? हो सकता है सिंड्रेला सिंड्रोम
क्या है खबर?
सिंड्रेला एक काल्पनिक राजकुमारी है, जो बचपन में सभी लड़कियों की पसंदीदा हुआ करती थी। वह बेहद मेहनती, प्रतिभाशाली और सुंदर हुआ करती थी।
बचपन में कई महिलाएं उसकी तरह बनना चाहती थीं, लेकिन आज के समय में सिंड्रेला जैसा बनना एक मानसिक विकार समझा जा रहा है।
दरअसल, इन दिनों सिंड्रेला काम्प्लेक्स सिंड्रोम चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए इस विकार के बारे में जानते हैं और इसका असली मतलब समझने की कोशिश करते हैं।
सिंड्रेला सिंड्रोम
क्या होता है सिंड्रेला सिंड्रोम का मतलब?
इंटरनेशनल जॉर्नल ऑफ साइकोलॉजी एंड एजुकेशनल स्टडीज नामक पत्रिका में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया था।
इसमें बताया गया है कि सिंड्रेला सिंड्रोम एक अवधारणा है, जिसका उपयोग उन महिलाओं को परिभाषित करने के लिए किया जाता है, जो स्वतंत्र होने से डरती हैं।
ऐसी महिलाएं चाहती हैं कि उनके जीवन को कोई मर्द संभाले, जो उनके लिए निर्णय ले सके और उनकी सुरक्षा कर सके।
इससे ग्रसित महिलाएं पूरी तरह मर्दों पर निर्भर रहती हैं।
धारणा
कैसे पनपा यह मानसिक विकार?
इस शब्द को कोलेट डाउलिंग द्वारा ईजाद किया गया था, जिन्होंने पाया था कि महिलाओं को बचपन से ही पुरुषों पर निर्भर रहने पर मजबूर किया जाता है।
यह मानसिकता इस धारणा से पनपी है कि महिलाएं बेहद कोमल, शांत और विनम्र स्वभाव की होती है। इसीलिए वे खुद की देखभाल करने में असमर्थ होती हैं और उन्हें मर्दों के सहारे की जरूरत पड़ सकती है।
उन्हें बचपन से सिखाया जाता है कि मर्द ही तुम्हारी जरूरतें पूरी करेंगे।
प्रभाव
इसके कारण रुक जाता है महिलाओं का विकास
इस मानसिक विकार की शुरुआत बचपन में हो जाती है, जब मां-बाप बेटियों को निर्णय लेने की आजादी नहीं देते हैं।
आगे चलकर यह विकार उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है और वे ज्यादातर कामों के लिए औरों पर निर्भर हो जाती हैं।
वे हर मुश्किल को हल करने के लिए किसी मर्द का इंतजार करती हैं, ठीक उसी तरह, जिस तरह सिंड्रेला राजकुमार का इंतजार करती है।
सिंड्रेला सिंड्रोम महिलाओं के व्यक्तिगत विकास को बाधित कर देता है।
लक्षण
क्या होते हैं सिंड्रेला सिंड्रोम के लक्षण?
जो महिलाएं सिंड्रेला सिंड्रोम का शिकार होती हैं, उन्हें अकेले निर्णय लेने या जिम्मेदारियां उठाने से डर लगता है। वे हमेशा औरों की राय मांगती रहती हैं और उन्हें फैसले लेने देती हैं।
ऐसी महिलाओं का पूरा व्यक्तित्व अपने पार्टनर के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है। वे मानती हैं कि उनके पार्टनर उन्हें हर मुसीबत से बचा सकते हैं और उन्हें केवल उनकी बात मानने की जरूरत है।
वे पार्टनर से तारीफ मिलने पर खुश हो जाती हैं।
बचाव
सिंड्रेला सिंड्रोम पर कैसे काबू पाएं?
सिंड्रेला सिंड्रोम को पहचान पाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। इससे निपटने के लिए सबसे पहला कदम होना चाहिए परेशानी को पहचानना और सुधार करने का फैसला लेना।
इसके बाद आपको अपने जीवन के सभी अहम फैसले खुद करने की पहल करनी चाहिए और मर्दों पर निर्भर रहना कम कर देना चाहिए।
पहले छोटे-छोटे फैसलों से शुरुआत करें और फिर बड़े निर्णय भी खुद लेना शुरू करें। साथ ही, अपने काम भी खुद करें।