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बचपन की बीमारियां और मोटापा भविष्य में पुरुषों को बना सकते हैं अस्वस्थ, अध्ययन में खुलासा 

बचपन की बीमारियां और मोटापा भविष्य में पुरुषों को बना सकते हैं अस्वस्थ, अध्ययन में खुलासा 

लेखन सयाली
Jul 04, 2025
02:40 pm

क्या है खबर?

कई बच्चों का वजन उनकी उम्र के मुताबिक बहुत ज्यादा होता है और वे बार-बार बीमार पड़ते रहते हैं। ऐसे बच्चों का शरीर कमजोर हो जाता है और वे बड़े हो कर भी बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं। इस बात को सच साबित करने के लिए एक नया अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार, बचपन की बीमारियां और मोटापा भविष्य में पुरुषों को अस्वस्थ बना देते हैं और बीमार पड़ने के खरते को बढ़ा देते हैं।

अध्ययन

लड़कों का मोटा या बीमार होना भविष्य के लिए है घातक

इस अध्ययन को नॉटिंघम विश्वविद्यालय के बायोसाइंसेज स्कूल के वैज्ञानिकों ने पूरा किया है। इसे एंड्रोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। यह बचपन की डाइट, स्वास्थ्य और संक्रमणों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभाव की जांच करने वाला पहला अध्ययन है। इससे पता चला है कि बचपन में लड़कों का ज्यादा मोटा होना या शिशु अवस्था में चेचक जैसे संक्रामक रोग का शिकार होना भविष्य में दीर्घकालिक बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है।

विश्लेषण

जानिए किसे पूरा हुआ यह अध्ययन

इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 24 साल की उम्र के युवा पुरुषों की जानकारी जुटाई थी। शोधकर्ताओं ने ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में सहकर्मियों द्वारा स्थापित 90 के दशक के बच्चों के समूह के डाटा का विश्लेषण किया था। इसमें बायोमार्कर इंसुलिन-जैसे पेप्टाइड 3 वाले अद्वितीय वृषण हार्मोन के स्तर का विश्लेषण किया गया था। साथ ही इसे प्रतिभागियों के बचपन की स्वास्थ्य समस्याओं और जीवनशैली से संबंधित कारकों से जोड़ा गया था।

प्रक्रिया

अध्ययन में की गई बीमार करने वाले कारकों की पहचान 

शोध का नेतृत्व एंडोक्राइनोलॉजी और प्रजनन फिजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रविंदर आनंद-इवेल ने किया। उन्होंने पहले सिद्ध किया था कि कैसे उम्रदराज पुरुषों में अद्वितीय बायोमार्कर INSL3 मधुमेह, हृदय रोग या हड्डियों की कमजोरी जैसी स्थितियों की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। शोधकर्ताओं ने पुरुषों की जांच करके उनके बचपन के उन कारकों की पहचान की, जो उम्र बढ़ने के साथ उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कई कम महत्वपूर्ण कारकों की भी पहचान की थी।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन से पता चला कि बचपन में ज्यादा मोटे होना या संक्रामक रोगों से पीड़ित होना उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा, समय पर टीकाकरण के महत्व पर भी जोर दिया गया। डॉ आनंद ने कहा, "इस बायोमार्कर INSL3 के उपयोग के साथ-साथ बचपन की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के कारण हम उन पुरुषों का पूर्वानुमान लगा सकते हैं, जो जोखिम में हैं। इससे रोग से पहले निवारण के प्रयास किए जा सकते हैं।"