श्वसन तंत्र को मजबूती प्रदान कर सकते हैं ये प्राणायाम, जानिए अभ्यास का तरीका
प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो श्वसन तंत्र को मजबूत प्रदान करने में मदद कर सकता है। यह न केवल फेफड़ों की क्षमता बढ़ा सकता है, बल्कि तनाव को भी दूर कर सकता है। प्राणायाम के विभिन्न प्रकार हैं, जिनका अभ्यास नियमित करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। आइए आज हम आपको उन प्राणायामों के बारे में बताते हैं, जिनका अभ्यास श्वसन तंत्र के लिए लाभदायक हो सकता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम एक सरल और प्रभावी प्राणायाम है, जिसमें नाक के दोनों छिद्रों से बारी-बारी से सांस ली जाती है। इसे करने के लिए सबसे पहले दाएं नथुने को अंगूठे से बंद करें और बाएं नथुने से गहरी सांस लें, फिर बाएं नथुने को बंद कर दाएं नथुने से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को विपरीत क्रम में दोहराएं। यह अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, रक्त संचार सुधारने और मन को शांत रखने में मदद कर सकता है।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और शरीर में ऊर्जा का संचार करने का एक बेहतरीन तरीका है। इसके अतिरिक्त यह अभ्यास फेफड़ों की सफाई, पाचन तंत्र सुधारने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक है। इसमें तेजी से सांस छोड़ना शामिल है, जबकि सांस लेना सामान्य होता है। इसे करते समय सांस को इस प्रकार छोड़ना होता है कि पेट अंदर की तरफ जाए।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम तनाव से छुटकारा और मानसिक शांति प्रदान कर सकता है। इसमें गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे 'हम्म' ध्वनि निकालते हुए सांस छोड़नी होती है, जैसे मधुमक्खी की आवाज हो रही हो। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान केंद्रित करें। यह अभ्यास मन को शांत रखने, नींद सुधारने और सिरदर्द कम करने में मदद कर सकता है। इसके नियमित अभ्यास से मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है।
उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम आत्मविश्वास बढ़ाने का एक असरदार तरीका है, जिसमें गले के पीछे हिस्से पर हल्का दबाव डालकर धीमी गति से गहरी सांस ली जाती है और छोड़ी जाती है। इसे करते समय ध्यान दें कि आपकी सांसों की आवाज समुद्र की लहरों जैसी सुनाई देनी चाहिए। यह अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, थायरॉइड ग्रंथि सक्रिय रखने, तनाव कम करने और मनोबल ऊंचा उठाने में मददगार है।