गुजरात: शराबबंदी के बावजूद पांच साल में दोगुनी हुई शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या
देश के गुजरात राज्य में भले ही 1961 से शराबंदी लागू हो, लेकिन यहां इसके सार्थक परिणाम आज भी सामने नहीं आ पाए हैं। यहां शराब पीने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और महिलाओं का भी शराब के प्रति तेजी से रुझान बढ़ रहा है। पिछले पांच साल में राज्य में शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत दोगुना हुआ है। हालांकि, इस दौरान शराब पीने वाले पुरुषों के प्रतिशत में 50 प्रतिशत की कमी आई है।
NFHS सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की साल 2019-20 की सर्वे रिपोर्ट में गुजरात में महिलाओं का शराब के प्रति बढ़ते रुझान का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में 33,343 महिलाएं तथा 5,351 पुरुषों को शामिल किया गया था। इसमें 0.6 प्रतिशत यानी 200 महिलाओं और 5.8 प्रतिशत यानी 310 पुरुषों ने दावा किया है कि वह शराब लगातार शराब का सेवन कर रहे हैं। यह चौंकाने वाली बात है।
2015 के सर्वे में यह थी महिलाओं की स्थिति
NFHS के 2015 के सर्वे में 22,932 महिला तथा 6,018 पुरुषों को शामिल किया गया था। उस दौरान 0.3 प्रतिशत यानी 68 महिलाओं और 11.1 प्रतिशत यानी 668 पुरुषों ने शराब का सेवन करने की बात स्वीकार कर दी थी। ऐसे में यदि इस डाटा की 2020 से तुलना की जाए तो शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत दोगुना हो गया और पुरुषों के प्रतिशत में 50 प्रतिशत की कमी आई। ऐसे में इसे आधुनिकता से जोड़ा जा रहा है।
शहरी महिलाओं में तेजी से बढ़ा शराब के सेवन के शौक
रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 के सर्वे में 0.1 प्रतिशत शहरी महिलाएं शराब का सेवन करती थी, लेकिन 2020 में यह संख्या बढ़कर 0.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इससे जाहिर है कि शहरी महिलाओं में शराब के सेवन का शौक तेजी से बढ़ा है।
शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या में आई 4.6 प्रतिशत की कमी
रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में गुजरात में शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या 10.6 प्रतिशत थी, जिसमें 2020 में 4.6 प्रतिशत की कमी आ गई। इसी तरह साल 2015 में ग्रामीण क्षेत्रों में शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या 0.4 प्रतिशत थी, जो 2020 में बढ़कर 0.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसी तरह 2015 में 11.4 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष शराब पीते थे, लेकिन 2020 में यह संख्या घटकर 6.8 प्रतिशत पर आ टिकी है।
कई समुदायों में जड़े जमा चुका है शराब का शौक- जानी
समाजशास्त्री गौरांग जानी का कहना है कि राज्य के कई समुदायों में शराब का शौक अपनी जड़े जमा चुका है। इन समुदायों में शराब पीना एक प्रथा जैसा है, जहां पुरुष और महिलाएं साथ बैठकर जाम छलकाते हैं। राज्य की आदिवासी आबादी इसका प्रमुख उदाहरण है। राज्य में आधी सदी से ही तो शराबंदी हुई है। ऐसे में इन समुदायों में शराब का चलन काफी पहले से चला आ रहा है और इसे रोक पाना बड़ी चुनौती है।
डर के कारण खुलकर नहीं बोलते हैं लोग- पुलिस अधिकारी
एक वरिष्ठ IPS अधिकारी के अनुसार सर्वे की संख्या पूरी तरह से सही नहीं है। राज्य में शराब पीने वालों की संख्या इससे भी अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य में शराबंदी के कारण शराब का सेवन अपराध है। ऐसे में कार्रवाई के डर से लोग सर्वे में शराब के सेवन की बात नहीं स्वीकार करते हैं। राज्य में शराब के शौकीनों की वास्तविक संख्या परमिट धारी लोग और पुलिस की कार्रवाई से ही सामने आ सकती है।