#NewsBytesExplainer: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे में कहां पेच फंसा?
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी गठबंधन INDIA बिखरता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल और पंजाब के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
दोनों पार्टियों के बीच आंतरिक मतभेदों के कारण अब तक सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है।
आइए जानते हैं कि लोकसभा सीटों के मामले में सबसे बड़े राज्य में अब तक दोनों पार्टियों के बीच सहमति क्यों नहीं बनी।
चर्चा
सीट बंटवारे की बातचीत में अब तक क्या-क्या हुआ?
अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीटों का प्रस्ताव दिया था और कहा था कि इसे और बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने ट्वीट करके भी यह जानकारी दी थी, लेकिन वह मुस्लिम-यादव समीकरण में से मुस्लिम वोटबैंक कांग्रेस को देने के मूड में नहीं हैं।
अंत में दोनों के बीच 20 सीटों पर सहमति की बात हुई थी। हालांकि, कांग्रेस 28 सीटें चाहती है और इससे संबंधित सूची SP को सौंपी है।
सीट
कांग्रेस कौन-सी सीटें चाहती है?
इंडिया टुडे से बातचीत में कांग्रेस के सूत्रों ने दावा किया कि कांग्रेस ने SP से मुरादाबाद, फिरोजाबाद, बरेली, खीरी, धौरहरा, उन्नाव, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कानपुर, अकबरपुर, झांसी, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, महाराजगंज, और कुशीनगर सीटें मांगी हैं।
इन पर साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस बलिया से अजय राय, भदोही से राजेश मिश्रा, बाराबंकी से तनुज पुनिया को और फर्रुखाबाद से वरिष्ठा नेता सलमान खुर्शीद को उतारना चाहती है।
असहमति का कारण
सीट बंटवारे को लेकर क्यों नहीं बन पा रही बात?
SP का कहना है कि कांग्रेस जिन सीटों की मांग कर रही है, वह उसका गढ़ हैं। वह रामपुर और मुरादाबाद दोनों सीटों पर आजम खान की सहमति के बिना चर्चा नहीं करेगी।
SP कांग्रेस को जालौन, झांसी, आगरा, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, वाराणसी, अमेठी, रायबरेली, महाराजगंज, बाराबांकी और कानपुर के अलावा और कोई सीट देने के मूड में नहीं है।
कांग्रेस इन सीटों दिलचस्पी नहीं दिखा रही क्योंकि इन पर भाजपा की मजबूत पकड़ है।
उम्मीदवार
अखिलेश यादव ने उम्मीदवार घोषित कर दिया कांग्रेस को संकेत
इस बीच SP प्रमुख अखिलेश ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने 16 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।
इसमें अखिलेश की पत्नी और मौजूदा सांसद डिंपल यादव और उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का नाम शामिल है। इसके अलावा आनंद भदौरिया और अनु टंडन को भी मैदान में उतारा है।
इसमें वह सीटें भी शामिल हैं, जिनकी कांग्रेस ने मांग की है, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस की सभी मांग SP नहीं मानने वाली है।
चुनाव
2019 में उत्तर प्रदेश में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं?
2019 में SP, बहुजन समाज पार्टी (BSP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने गठबंधन किया था। तब SP को 5, BSP को 10 और RLD को एक भी सीट नहीं मिली थी।
कांग्रेस को मात्र एक सीट पर जीत मिली थी और यहां तक कि राहुल गांधी खुद अमेठी से चुनाव हार गए थे।
तब SP और कांग्रेस के बीच कोई औपचारिक गठबंधन तो नहीं था, लेकिन SP ने राहुल और सोनिया गांधी की सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
अन्य राज्य
अन्य राज्यों में सीट बंटवारे का क्या हाल है?
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ऐलान कर चुके हैं कि लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोबारा भाजपा का दामन थामने से यहां INDIA गुट ने सत्ता खो दी है, लेकिन सीट बंटवारे में दिक्कत नहीं आएगी।
दिल्ली में AAP और कांग्रेस गठबंधन को तैयार तो हैं, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर अब तक कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है।