#NewsBytesExplainer: क्यों फिल्मों की रिलीज के लिए मंजूरी लेना जरूरी? जानिए इसके बारे में सबकुछ
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, यहां हर साल सैकड़ों फिल्में बनती हैं। कुछ अपना कमाल दिखाने में सफल रहती हैं तो कुछ बुरी तरह ढेर हो जाती हैं। हालांकि, फिल्मों को पर्दे पर लाने से पहले निर्माताओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके लिए उन्हें शूटिंग शुरू करने से पहली मंजूरी लेनी पड़ती है। आइए आज फिल्म बनाने से पहले किन बातों का ख्याल रखा जाता है और कैसे इन्हें मंजूरी मिलती है, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलना जरूरी
किसी फिल्म को रिलीज करने की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं और आमतौर पर विभिन्न अधिकारियों से मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है। फिल्म की रिलीज करने के लिए सबसे पहले फिल्म निर्माताओं को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है। इसमें बोर्ड फिल्म को देखने के बाद निर्णय लेता है कि इसे कौन-सा सर्टिफिकेट मिलेगा, साथ ही अगर किसी दृश्य में बदलाव होना है तो उसे भी कराया जाता है।
इतनी तरह के होते है सर्टिफिकेट
सेंसर बोर्ड फिल्म के कंटेंट और सीन के हिसाब से उसे सर्टिफिकेट देता है. जिसमें 'A', 'UA', 'U' और 'S' जैसे सर्टिफिकेट शामिल हैं। 'U' सर्टिफिकेट वाली फिल्में जहां सब देख सकते हैं तो 'UA' सर्टिफिकेट वाली फिल्में 12 साल से कम उम्र के बच्चों को माता-पिता की निगरानी दिखाई जाती हैं। इसी तरह 'A' सर्टिफिकेट वाली फिल्में 18 साल से बड़े लोग देख सकते हैं तो 'S' सर्टिफिकेट वाली फिल्में डॉक्टर, वैज्ञानिक ही आदि देख सकते हैं।
निर्माताओं के लिए जरूरी हैं ये बातें
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित फिल्म सुविधा कार्यालय (FFO) फिल्म निर्माताओं और प्रोडक्शन कंपनियों के लिए एक ऐसे बिंदु की तरह काम करता है, जो उन्हें भारत में फिल्मों की शूटिंग करने की मंजूरी दिलाता है। FFO शूटिंग के प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन के लिए भारतीय फिल्म उद्योग के पास उपलब्ध सुविधाओं के बारे में सारी जानकारी रखता है और राज्य सरकारों के साथ काम करता है ताकि इसी तरह की सुविधाएं स्थापित हो सके।
ऑनलाइन देना पड़ता है आवेदन
भारत में अपनी फीचर फिल्मों, वेब सीरीज और रियलिटी शो की शूटिंग के लिए भारत के साथ ही विदेशी निर्माताओं को FFO की वेबसाइट, www.ffo.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करने होते हैं। इसके साथ जरूरी कागज मुहैया करने होते हैं, जिनकी बाद उन्हें मंजूरी मिलती है।
शूटिंग के लिए ली जाती है मंजूरी
आमतौर पर फिल्मों की शूटिंग के लिए सेट बनाए जाते हैं, लेकिन कुछ सीन को असली जगहों पर फिल्माया जाता है। ऐसे में उस जगह पर शूटिंग के लिए संबंधित अधिकारियों से मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है। इसमें ऐतिहासिक स्मारक, राष्ट्रीय उद्यान, सार्वजनिक स्थान आदि शामिल हैं। इसके लिए अधिकारियों को बताना पड़ता है कि वे कितनी जगह का कितने समय के लिए इस्तेमाल करने वाले हैं। इसके लिए उन्हें पूरी सीन की जानकारी मुहैया करना होती है।
पूरी स्क्रिप्ट देने की नहीं होती जरूरत
शूटिंग के लिए मंजूरी लेने के दौरान निर्माताओं को पूरी स्क्रिप्ट की जानकारी नहीं देने होती। उन्हें बस उस सीन के बारे में बताना होता है ताकि अधिकारियों को पता रहे कि वह जगह कितनी देर के लिए शूटिंग के इस्तेमाल में आएगी।
गाने के लिए भी लिया जाता है लाइसेंस
अगर फिल्म में कॉपीराइट संगीत शामिल है तो फिल्म निर्माताओं को गाने का उपयोग करने से पहले संगीत एजेंसी से लाइसेंस प्राप्त करना होता है। इसमें अलग-अलग तरह के लाइसेंस मिलते हैं, जिसके बाद निर्माताओं को कॉपीराइट उल्लंघन का सामना नहीं करना पड़ता। इतना ही नहीं निर्माताओं को सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज करने के लिए वितरण कंपनियों या एग्जीबिटर्स के साथ समझौते की आवश्यकता होती है। इसमें डिस्ट्रीब्यूशन के साथ स्क्रीनिंग के शेड्यूल और राजस्व व्यवस्था पर बातचीत शामिल है।
इन बातों का भी रखा जाता है ख्याल
अगर फिल्म को अंतरराष्ट्रीय रिलीज करना है तो इसके लिए संबंधित अधिकारियों से अतिरिक्त अनुमति लेने की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा मार्केटिंग और प्रचार-प्रसार के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी दिशा-निर्देशों और नैतिक मानकों का पालन किया जाए। कानूनी मुद्दों से बचने और सुचारू रिलीज सुनिश्चित करने के लिए फिल्म निर्माताओं के लिए ये सारी अनुमति लेना जरूरी होता है। इसके बाद ही फिल्में सिनेमाघरों में दर्शकों के बीच आसानी से आती हैं।