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    कोलकाता मामला: डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे पर सरकार का बयान, कहा- इनका कोई कानूनी मूल्य नहीं
    पश्चिम बंगाल सरकार ने वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफों को कानूनी रूप से अवैध बताया

    कोलकाता मामला: डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे पर सरकार का बयान, कहा- इनका कोई कानूनी मूल्य नहीं

    लेखन भारत शर्मा
    Oct 12, 2024
    06:42 pm

    क्या है खबर?

    कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की घटना के विरोध में गत दिनों वरिष्ठ डॉक्टरों की ओर से दिए गए सामूहिक इस्तीफों पर पश्चिम बंगाल सरकार ने बड़ा बयान दिया है।

    सरकार ने कहा है कि डॉक्टरों की ओर से दिया गया सामूहिक इस्तीफा एक सामान्य पत्र है और इसका कोई भी कानूनी महत्व नहीं है। इस्तीफों को वैध माने जाने के लिए उनका सही प्रारूप में होना जरूरी है।

    बयान

    सरकार ने डॉक्टरों के इस्तीफे पर क्या कहा?

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने कहा, "वरिष्ठ डॉक्टरों के इस्तीफों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हमें कुछ पत्र मिले हैं, जिनके संदर्भ में 'सामूहिक इस्तीफे' का उल्लेख है। इसी तरह कुछ पत्रों में विषय का कोई उल्लेख नहीं है। इन विषयहीन पत्रों में कुछ हस्ताक्षर हैं, लेकिन पदनामों का उल्लेख नहीं है।"

    उन्होंने कहा, "इन सामूहिक इस्तीफों का वास्तव में कोई कानूनी मूल्य नहीं है और ये एक सामान्य पत्र ही हैं।"

    जानकारी

    "इस्तीफों का होना चाहिए वैध प्रारूप"

    बंद्योपाध्याय ने कहा, "इस्तीफा नियोक्ता और कर्मचारी के बीच का मामला है, जिस पर विशिष्ट सेवा नियमों के तहत चर्चा की जानी चाहिए। इस्तीफे सेवा नियमों के अंतर्गत आते हैं और उन्हें वैध माने जाने के लिए एक निश्चित प्रारूप में भेजा जाना चाहिए।"

    अनशन

    पिछले 7 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं डॉक्टर

    पीड़िता को न्याय दिलाने सहित अपनी 9 मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों का एक समूह पिछले 7 दिनों से आमरण अनशन पर है। इनमें से कई डॉक्टरों की तबीयत भी बिगड़ चुकी है।

    2 जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि कोलकाता पुलिस अनशन खत्म कराने के लिए उनके परिवार पर दबाव बना रही है।

    इससे पहले डॉक्टरों ने सरकार पर न्याय में कथित रूप से देरी करने और उनकी सुरक्षा के संबंध में कदम उठाने में देरी की है।

    चेतावनी

    FAIMA ने दी देशभर में हड़ताल की चेतावनी

    जूनियर डॉक्टरों के आमरण अनशन के बीच अखिल भारतीय चिकित्सा संघों के महासंघ (FAIMA) ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को अनशन के दौरान कोई भी नुकसान पहुंचता है तो देशभर में चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी।

    इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मुख्यमंत्री बनर्जी से मामले में हस्तक्षेप करने और स्थिति बिगड़ने से पहले डॉक्टरों की सभी मांगे पूरी करने की अपील की है।

    जानकारी

    38 डॉक्टरों ने किया सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला

    एक अधिकारी ने PTI को बताया कि आरामबाग मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 38 वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने कनिष्ठ समकक्षों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला किया है। ऐसे में देश में इस्तीफों की संख्या बढ़ सकती है।

    मांग

    क्या है डॉक्टरों की मांगे?

    डॉक्टरों ने सरकार के सामने पीड़िता को न्याय दिलाने, स्वास्थ्य सचिव को उनके पद से हटाने, राज्य के सभी अस्पतालों में केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली लागू करने और एक डिजिटल बेड रिक्ति मॉनिटर स्थापित करने की मांग की है।

    इसी तरह उन्होंने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में टास्क फोर्स गठित करने के साथ अलग शौचालय, आराम कक्ष और CCTV लगाने, अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाने और नागरिक स्वयंसेवकों की जगह स्थायी महिला और पुलिस पुलिसकर्मी तैनात करने सहित 9 मांगें रखी हैं।

    पृष्ठभूमि

    क्या है महिला डॉक्टर की हत्या का मामला?

    9 अगस्त को आरजी कर कॉलेज में एक महिला डॉक्टर का शव मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर की हत्या से पहले रेप की पुष्टि हुई थी।

    मामले में पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। फिलहाल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच कर रही है।

    उसने पूर्व प्रधानाचार्य डॉ संदीप घोष और थानाप्रभारी मंडल को सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया है। इधर, मांगे पूरी न करने पर डॉक्टरों ने पिछले सप्ताह अनशन शुरू किया था।

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